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m amamaMP जनरल आर्मस्ट्राँग।
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और लोगोंने भी कई विद्यालय खोले । इस किया करते थे । विश्राम क्या वस्तु है इसे वे काममें सबसे अधिक सफलता बुकर टी. वाशिं- जानते ही न थे। इस तरह आवश्रान्त परिश्रम गटन नामक उनके एक नीग्रो-शिष्यको हुई। करनेसे उनका शरीर क्षीण हो गया । वे मरनेके उन्होंने टस्केजीमें एक नीग्रो-संस्था खोलकर पहले सन् १८९३ ई. में अपने प्रिय शिष्य अपनी जातिका जो कल्याण किया, उसकी बुकर टी. वाशिंगटनकी 'टस्केजी-संस्था । शतमखसे भी प्रशंसा नहीं की जा सकती है। देख आये थे । उन्होंने उस समय कहा था कि बुकर टी. वाशिंगटनकी टस्केजी-संस्थाको देख बस अब हमारा काम हो चुका अब हम सुखके कर उन्हें बहुत संतोष होता था । सन् १८८७ साथ चिरशान्ति-लाभ कर सकेंगे । उसी वर्ष और १८८९ इन दोनों बर्षों में दो विश्वविद्याल- इस महात्माका स्वर्गवास हो गया। याँने इन्हें एल. एल. डी. की बहुत ही बडी आर्मस्ट्राँग लोकसेवा और परोपकारकी जीऔर सन्मानसूचक पदवी दी थी।
ती जागती मूर्ति थे । उनका चरित प्रत्येक धर्मआर्मस्टाँगका मत था कि नीग्रो लोगोंके लिए
सेवक और देशसेवकके लिए अनुकरणीय है।
प्रत्येक देश और प्रत्येक जातिमें ऐसे महापराजकीय अधिकार प्राप्त करा देनेकी अपेक्षा उनमें ज्ञान फैलानेकी जियादा जरूरत है । वे
रुषोंके जन्म लेनेकी आवश्यकता है। हमारे भारजैसे जैसे सुशिक्षित होते जायेंगे उनको वैसे वैसे .
तमें तो इस समय एक नहीं सैकड़ों आर्मस्ट्राँगों
रंग उनका वस वस की जरूरत है । अमेरिकामें तो केवल ४० लाख अधिकार भी मिलते जायेंगे । आखिर ऐसा ही नीग्रोलोगोंके उद्धारका कार्य था; परन्तु हुआ । नीग्रोलोग लुजियाना प्रान्तमें बड़े बड़े इस देशमें नीग्रो लोगोंके ही समान तुच्छ दृष्टिसे ओहदोंपर नियुक्त होकर गोरे और काले लोगों देखे जानेवाले कई करोड़ अस्पृश्य या अछूत पर समान रूपसे शासन करने लगे। जातिके लोग हैं जिन्हें हस्तावलम्बन देकर . महात्मा आर्मस्ट्राँगने जीवन भर लोकसेवा- ऊपर उठानेका बहुत बड़ा कार्यक्षेत्र पड़ा का काम किया । वे सदैव एक समान परिश्रम हुआ है।
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