SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 78
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जनरल आर्मस्ट्राँग। (ले०- पं० शिवसहाय चतुर्वेदी।) संसारमें लोकसेवासे बढ़कर दूसरा कोई पुण्य- देकर उनकी उन्नति करनेकी इच्छा रखते थे। वे काय नहीं है। आज हम एक ऐसे महापुरुषकी जानते थे कि यद्यपि उन लोगोंकी सामाजिक जीवनी पाठकोंको भेट करते हैं कि जिसने दास्य- अवस्था हीन है, परन्तु उनकी आत्मिक स्थिति पंक और अज्ञानान्धकारमें पड़ी हुई एक काली हम लोगोंहीके समान है । यदि उनको सहायता अनार्यजातिके लिए अपार श्रम किया था, जि- दी जावे-उनकी उन्नतिका मार्ग उन्मुक्त कर सने उनको दास्यपंकसे उद्धार करने के लिए शस्त्र- दिया जाय तो वे बहुत शीघ्र उन्नतं हो सकते हैं। धारण किया था और उन्हें सब तरहसे सुशिक्षित सन् १८६० ई० में कालेज छोड़नेपर आर्म और स्वाबलम्बी बनाने में अपना जीवनतक उ- स्ट्राँगने मिशनकी नौकरी करली। साथ ही उन्होंने त्सर्ग कर दिया था ! इस महात्माका पूरा नाम हवाई-भाषामें 'ही-हवाई' नामका एक समाचार'सेमुएल चेपमेन आर्मस्ट्राँग 'था। इनका जन्म पत्र निकाला। उसके द्वारा वे हवाई लोगोंकी जनवरी सन् १८३९ को हवाई-द्वीपम हुआ सुधारणाका प्रयत्न करने लगे। कुछ समयके था। इनके माता पिता धर्मोपदेशक (पादरा ) बाद वे इस कामको छोड़कर अमेरिका-संयुक्तराथे। माता विदुषी थी इस लिए वह स्त्रियोंकी स- ज्यके विलियम्सटाउन नगरमें गये और वहाँ डा० हायता करती थी और पिता धर्मोपदेशक, अ- हाप्किन्स नामक तत्त्ववेत्ताके समीप रहकर अपने ध्यापकी और डाक्टरी-इन तीनों कामोंको कर- ज्ञानको परिमार्जित करने लगे । जिस समय वे ते थे। माता पिताके लोकसेवा सम्बन्धी इन का- वहाँ रहते थे उस समय बीच बीचमें उनकी इच्छा मोंका पुत्र पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ा । हवा धर्मोपदेशक बननेकी होती थी, परन्तु उनकी ई-द्वीपमें यूरोपियन लड़कोंकी शिक्षाके लिए जो " वह इच्छ पूर्ण न हुई और उन्हें सन् १८६२ में पाठशाला थी आर्मस्ट्राँगकी प्रारंभिक शिक्षा उसी o लड़ाईके मैदानमें जाना पड़ा। जगह हुई थी । आर्मस्ट्राँग हवाई लोगोंपर हार्दिक प्रेम रखते थे। बहुत दिनोंतक उनके सं. उस समय अमारका-सयुक्तराज्यमे दास्यप्रथा सर्गमें रहकर उनकी धारणा हो गई थी कि-ह- या गुलामगीरीके विषयमें बड़े जोरका आन्दोलन वाईलोग दयाल और विश्वासी होते हैं , अति- हो रहा था। इस स्थलपर पाठकोंको गुलामीके थि और मेहमानोंका आदर-सत्कार प्रेमपूर्वक प्रारंभिक इतिहासकी कुछ बातें सुनाना उचित करते हैं : वे खेती आदि परिश्रमके काम बहत जान पड़ता है । लगभग चारसौ वर्ष पहले अमेउत्तमता और ईमानदारीके साथ करते हैं - रिका एक बीरान और जंगली देश था। सत्रहवीं चोरी कभी नहीं करते। __ शताब्दीके प्रारंभमें यूरोपीय लोगोंकी दृष्टि उस ___ आर्मस्ट्राँगके हृदयमें उनके प्रति बड़ी सहानु- पर पड़ी और यूरोपसे भिन्न भिन्न देशोंके लोग भूति थी और वे उनको सब तरहसे सहायता जाकर वहाँ बसने लगे। वहाँ खेती आदिके Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522825
Book TitleJain Hiteshi 1916 Ank 04 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1916
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy