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जैनधर्म और जैनजातिके भविष्यपर एक दृष्टि। 8
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यह तो हुई सारे भारतकी बात-पृथक् अपनेको हिन्दू न लिखवा कर जैन लिखवावे पृथक् प्रदेशोंकी जनसंख्याका ह्रास इससे और सरकारी कर्मचारियोंको भी इस भी अधिक डरावना है। मनुष्यगणनासे विषयकी खास हिदायत थी । इस आन्दोपिछले दस वर्षों में संयुक्त प्रदेशमें सैकड़ा लनकी आवश्यकता यों हुई थी कि पहलेकी पीछे १०. ५ पंजाबमें ६. ४ बम्बईमें मनुष्यगणनाओंमें बहुतसे जैन हिंदुओंमें गिने ८.६ मध्यप्रदेशमें २२ और बडोदेमें १० गये थे और इस कारण जैनोंकी वास्तजैन कम हो गये । ग्वालियर राज्यमें यह विक संख्याका ठीक ठीक अन्दाज नहीं लग घटी सैकड़ा पीछे २६ हो गई है और सकता था । इस ही बातसे स्पष्ट है कि १८९१ खास ग्वालियर नगरके समीप तो १०० और १९०१ में जैनोंकी संख्या रिपोर्टमें मनुष्योंमें केवल ७० ही बच रहे हैं । यदि जितनी लिखी है उससे कहीं अधिक थी; एक एक नगर और ग्रामका हिसाब देखें तो किन्तु १९११ की संख्यामें अधिक अन्तर ऐसे बहुतसे स्थान मिलेंगे जहाँ दशवर्ष या गलती नहीं हो सकती। अतः इसमें कोई पहले सौ कुटुम्ब निवास करते थे और अब सन्देह नहीं कि ऊपर लिखे हुए अंकोंसे केवल २ या ३ ही बाकी बच गये हैं। जैनोंकी जो घटी प्रगट होती है वह ठीक मध्यप्रदेश और मध्यभारतमें ऐसी अनेक नहीं, वास्तवमें वह बहुत अधिक होगी। जैनजातियाँ हैं कि जिनकी जनसंख्या खैर, इस समय कोई उपाय ऐसा नहीं कि सहस्रोंसे घटकर सैकड़ों पर रह गई है जिससे यह गलती सुधार ली जाय और इस
और सैकडोंके स्थानमें अब केवल इन गिने कारण हम इन अंकों ही पर विचार करेंगे। .२-४ मनुष्य ही जिनमें बच रहे हैं।
___ सब बातोंका विचार कर यह जान पड़ता किन्त ये तो वे बातें हैं जो सरकारी बै कि जैनोंकी संख्या प्रतिदशवर्ष में प्रायः मनष्यगणनाकी रिपोर्टोंमें लिखी हैं। यदि एक लाखसे अधिक घट जाती है । यदि हमें जनजातिकी इस घटीका ठीक ठीक यही दशा रही और जैनजातिने अपने इस पता लगाना है तो इन संख्याओं ही पर मरणोन्मख कलेवरकी स्थितिका कोई अच्छा निर्भर न रह कर विचारशक्तिसे भी काम उपाय ढूँढ न निकाला तो प्रायः एक ही शतालेना चाहिए । एक बातका विशेष ध्यान ब्दिमें वह सर्वथा विलुप्त हो जायगी, यह समझ रखना होगा-वह यह कि गत मनुष्य गण- लेना कोई कठिन कार्य नहीं । तिस पर यदि नाके पहले एक बहुत जोरदार आन्दोलन हम यह स्मरण रक्खें कि एक छोटी जातिजैनजातिमें प्रारम्भ हुआ था जिसमें समस्त जिसमें प्रदेशका द्वार बंद हो-बड़ी जातिकी जैनियोंसे यह प्रार्थना की गई थी कि वे अपेक्षा अधिक शीघ्रतासे नाशको प्राप्त होती
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