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________________ MAITHIMAL ARATIBIOTIBRARY जैनहितैषी (दौलतरामके सालेका प्रवेश उनके साथ (बिहारीके साथ दौलतरामका फिर प्रवेश ।) __ सन्दुक पिटारे ट्रंक वगैरह हैं।) दौलत०—बिहारी, देखो तो सही कैसा १ साला-ले चलो, ले चलो ! अन्धेर हैदौलत०-अब यह क्या है ! बिहारी-(दौलतके सालोंसे ) क्यों २ साला-अजी कुलीको बुलाओ। साहब, आपलोग घरका असबाब कहाँ लिये जा ३ साला-कुली ! कुली ! (प्रस्थान । ) १साला-क्यों न ले जाँय ! ये सब चीजें दौलत०-अरे कुलीको क्यों पुकारते हो ? अब हमारी बहनकी हैं। सब सामान क्यों घरसे बाहर निकाले फेंके २ साला-वह अब हम लोगोंके पास. देते हो? रहेगी। २ साला-ले जाँयगे। ३ साला-क्योंकि हमारे जीजाजी मर दौलत०-कहाँ ? गये हैं। १ सालां-कहाँ और कहाँ! अपने घर !- दौलत०-देखते हो अंधेर ! मेरे जीतेजी दौलत०-क्यों ? मेरा सामान अपने घर यह अत्याचार हो रहा है। उधर स्त्री जारही है क्यों ले जाओगे ? और इधर मेरा सब कुछ-(रोता है). २ साला-तुम्हारा सामान ? बिहारी-भाइयो ! दौलतरामकी विधवा दौलत०-जी। इस समय मेरी स्त्री,है ! क्योंकि हाल ही मेरी १ साला-(व्यंग्यके तौरपर ) जी,-लो स्त्री मर गई है और तुम्हारी बहनका पति मर कुली आगये। गया है। ( तीन चार कुलियोंके साथ तीसरे दौलत०-इससे यह प्रमाणित होता है कि सालेका फिर प्रवेश ।) मेरी स्त्री तुम्हारी स्त्री है ? २साला-उठाओ । पहले यह लोहेका बिहारी-कमसे कम यह साबित करना सन्दूक उठाओ। कुछ कठिन नहीं है । ( दौलतके सालोंसे ) (कुली लोग लोहेका सन्दूक उठानेकी आपलोग इस समय घर जाइए । इस लोहेके कोशिश करते हैं।) सन्दूकको मैं अपने जिम्मेमें लेता हूँ। दौलत०-खबरदार ! ( आगे बढ़ता है)। साले-यह क्या साहब ! १ साला-चुप रहो ! ( मारनेको तैयार बिहारी-ज्यादह चालाकी न कीजिएगा। होता है) दौलत-बिहारी ! बिहारी ! (जाता है) और मैं वकील हूँ । बस चले जाइए। ( सब सालोंका एक दूसरेको देखकर इशारा करना साले-अगर न जायँगे तो ? ___ और हाथकी ओटमें हँसना ।) बिहारी–तो कानूनी बहससे तुमलोगोंको १ साला-बिहारीको लेकर फिर आरहा है। उड़ा दूंगा। गवाहोंके द्वारा खाकमें मिला दूंगा। २ साला-( कुलीसे ) यह उठाओ- साले-अरे बापरे ! चलो, चलो .. ३ साला-जल्दी जल्दी । (जाते हैं) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522825
Book TitleJain Hiteshi 1916 Ank 04 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1916
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size10 MB
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