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जैनहितैषी।
श्रीमत्परमगम्भीरस्याद्वादामोघलाञ्छनम् । जीयात्सर्वज्ञनाथस्य शासनं जिनशासनम् ॥
११ वाँ भाग १ आषाढ़, वीर नि० सं० २४४१ । १ अंक ९
बोलपुरका शान्तिनिकेतन ब्रह्मचर्याश्रम ।
ह आश्रम बंगालमें वीरभूम जिलेके बोलपुर ग्रा
मसे लंगभग १॥ मीलके फासले पर खुले मैदा- नमें ऊँची जमीनके ऊपर स्थापित है। बोलपुर ईस्ट
इंडियन रेलवे ( लूप लाइन ) का स्टेशन है। मनुष्योंके कोलाहलसे यह दूर है, इस कारण यहाँ बड़ी ही शान्ति रहती है। मैं १६ फरवरी १९१५ को इस आश्रममें पहुँचा । बड़ी ही प्रसन्नता हुई । वहाँके मन्द सुगन्ध पवनने मनकी कली खिला दी और ब्रह्मचारियोंके निष्कपट पवित्र और प्रेमल चेहरोंने मेरे हृदय पर एक कभी न मिटनेवाली मुद्रा अंकित कर दी।
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