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________________ ४५६ जैनहितैषी - उक्तियोंसे विदित होती है कि महावीर गौतमबुद्ध से पहले निर्वाणको प्राप्त हुए । इन दोनों महात्माओंकी निर्वाणतिथियाँ भारतीय धर्मो के इतिहास में बड़े महत्त्वकी हैं, इतिहासमें नये युगको उत्पन्न करती हैं और धार्मिक ग्रन्थकर्त्ता कालनिर्णय विषयक बातेंमें बड़ी बहुलतासे इनका उपयोग करते हैं; परन्तु परस्पर विरुद्ध कथाओं और उक्तियोंकी परीक्षा करनेसे बड़ी कठिनाइयाँ पैदा होती हैं । ई० सन्से १२७ वर्ष पूर्व जो आम तौर से महावीरका निर्वाणसंवत् बताया जाता है अनेक कल्पित उक्तियोंमेंसे एक है। जैन उक्तियोंको आपस में मिलान करना अथवा चन्द्रगुप्तकी निश्चित तिथिसे मिलान करना असंभव है । डाक्टर हरनलने परस्परविरुद्ध जैनतिथियों पर विवेचना करते हुए लिखा है कि यद्यपि दिगम्बर और श्वेताम्बर दोनों ही महावीरके निर्वाणको विक्रमसे ४७० वर्ष पूर्व माननेमें - जिसका ई० सन्से १८ वर्ष पूर्वसे प्रारंभ होता है - सहमत हैं तथापि दिगम्बर विक्रमके जन्मसे और श्वेताम्बर राज्याभिषेकसे गणना करते हैं । पुस्तकोंसे प्रकट होता है कि १९१, ५४३ या १२७ वर्ष पूर्व ये सब कल्पित समय हैं । यह बात विशेष रूपसे याद रखने योग्य है कि महावीरके नवें पट्टाधिकारी स्थूलभद्र - जो नवें नन्दके मंत्री थेमहावीरनिर्वाणसे २१५ या २१९ वर्ष पीछे मरे थे और इसी वर्ष नन्दको चन्द्रगुप्तने मारा था । मेरुतुंग पुष्पमित्रको - जो ई० सन् १८५ वर्ष पूर्व तख्तपर बैठे थे - महावीरसे ३२३-१३ के बीच बतलाते हैं । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522806
Book TitleJain Hiteshi 1914 Ank 07 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1914
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size11 MB
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