________________ 440 जैनहितैषी विषय पर जितनी कथायें हैं उन सबमें ऐसा ही बयान किया गया है। बौद्धोंने परदेकी ओटमें ताड़ी ( नशा करनेवाला सुगंधित ताड़का रस ) का मृत्कुंभ रक्खा और उसमें अपनी तारादेवीका आह्वान करके उसको उन सब पक्षोंका यथाक्रम उत्तर देनेके लिए प्रेरित किया जो अकलंककी तरफसे उठाये जाय / कुछ कथाकारोंके मतसे यह वाद 7 दिन तक और कुछ के मतसे 17 दिन तक चलता रहा जिसमें अकलंकको कोई लाभ न पहुँचा / जब परिणामके लिए अकलङ्क बहुत ही उत्कण्ठित होने लगे तब कुष्माण्डिनी नामकी देवीने उन्हें स्वप्नमें दर्शन दिया और बतलाया कि यदि तुम अपने प्रश्नोंको प्रकारान्तरसे करो तो विजयी होजाआगे / अगले दिन ऐसा ही किया गया / घड़ेकी दैवीसे कोई उत्तर न बन सका और जैनोंकी जीत हो गई / तब अकलंकने उस परदेको तोड़ डाला और घड़ेको बाई लातकी ठोकरसे फोड़ डाला / यह कथा सम्पूर्ण बातोंसे ऐसी संग्रथित है कि शिलालेखके अन्तिम शब्द 'सुगतः पादेन विस्फालितः आम तौर पर ‘स घटः पादेन विस्फोटितः / कहे जाते हैं। यह समझना कठिन है कि किस घटनाका ठीक ठीक होना खयाल किया जाय; परन्तु समस्त घटनायें सविस्तर हैं और उसी एक बातको बतला रही हैं / इस समस्त घटनाका परिणाम यह हुआ कि राजा हिमशीतलको उन समस्त प्रबन्धोंका हाल मालूम होगया जिनपर बौद्ध लोग भरोसा रखते थे और साथ ही यह देखकर कि एक हाथीने जो खुला 1 मल्लिषेणप्रशस्तिके। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org