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________________ जैनहितैषी - पुराण बना था उस समय इस कृष्णराजका बेटा इन्द्रायुध गोविन्द द्वितीय राज्य करता था । इससे मालूम होता है कृष्णराजका राज्यकाल इसके पहले था । डा० भण्डारकरने अपने दक्षिणके इतिहासमें लिखा है कि इस राजाने संवत् ८१० ८३२ तक राज्य किया है। इससे मालूम होता है कि अकलंक देव ८१० से ८३२ तकके किसी समयमें जीवित थे । ४२८ 1 २ हरिवंशपुराण वि० सं ८४० में बना है । उसमें कुमारसेनका उल्लेख किया गया है और कुमारसेनका उल्लेख विद्यानन्दस्वामीने अपनी अष्टसहस्रीके अन्तमें किया है । लिखा है कि उनकी सहायतासे हमारा यह ग्रन्थ वृद्धिको प्राप्त हुआ । अकलङ्कदेव विद्यानन्दसे पहले हैं, क्योंकि उनके अष्टशतीभाष्य पर ही अष्टसहस्त्री लिखी गई है । इससे भी ज्ञात होता है कि अकलंकदेव संवत् ८४० केही पहले हो चुके हैं । आश्चर्य नहीं कि हरिवंशकी रचनाके समय उनका अस्तित्व न हो । ३ अष्टसहस्रीमें प्रसिद्ध वेदान्ती विद्वान् कुमारिलभट्टका 'भट्ट' नामसे कई जगह उल्लेख किया गया है । कुमारिल भट्टका समय संवत् ७५७ से ८१७ तक निश्चित है । अतएव विद्यानन्द स्वामी उसीके समय में अथवा उससे कुछ पीछे हुए होंगे और अकलंक विद्यानन्दसे पहले हुए हैं - अतएव उनका समय विक्रमकी आठवीं शताब्दिका चतुर्थ पाद और नववीं शताब्दिका प्रारंभ समझना चाहिए । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522806
Book TitleJain Hiteshi 1914 Ank 07 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1914
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size11 MB
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