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सरल प्रक्रिया टीका है । संस्कृत पढनेवाले विद्यार्थियोंके लिये बहुत ही उपयोगी है । इसी लिये यह ग्रंथ भी कलकत्ता संस्कृत यूनिवर्सिटीकी प्रथमा परीक्षामें भरती होगया है । न्योछावर १॥) रुपया ।
६. शब्दार्णवचंद्रिका-सोमदेवकृत यह भी. उक्त जैनेंद्रव्याकरणकी शब्दार्णवचंद्रिका नामकी बहुत ही सुगम टीका है। यह भी कलकत्ता संस्कृत परीक्षाको व्याकरण मध्यमा ( पंडित ) परीक्षामें भरती है । मूल्य ५) - ७-८. आप्तमीमांसा सटीक सभाष्य और प्रमाणपरीक्षा-ये दोनों ग्रंथ एक ही जिल्दमें हैं। आप्तमीमांसा भगवत्समंतभद्राचार्यकृत ८४००० श्लोकमय गंधहस्तमहाभाष्यके मंगलाचरणस्वरूप ११५ कारिका हैं। इसका नाम देवागमन्याय व देवागमस्तोत्र भी है। इस पर एक तो वसनंद सिद्धांतचक्रवतिं कृत टीका है दूसरा अकलंकदेव कृत अष्टशती नामका भाष्य है। दूसरा ग्रंथ प्रमाणपरीक्षा-विद्यानंदस्वामी कृत प्रमाणनिर्णयविषय बहुत ही उपयोगी ग्रंथ है । यह ग्रंथ भी कलकत्ताकी जैनन्याय मध्यमा परीक्षामें भरती है। मूल्य २) रु.
९. शब्दानुशासन सटीक-यह भी जगत्प्रसिद्ध अष्ट व्याकरणोंमेंसे । शाकटायन व्याकरण है यक्षवाकृत चिंतामणि टीकासहित छपा है। इसी व्याक. रणके सूत्रोंका तात्पर्य पाणिनीयमहाराजने अपने व्याकरणमें लङ शाकटायनस्य इत्यादि सूत्रोंमें ग्रहण किया है। इसका प्रथम खंड मात्र छपा है । मूल्य २)
१०. शाकटायनधातुपाठ--यह दूसरेका छपाया हुआ है। मूल्य ।)
भाषाके ग्रंथ । १. जिनशतक-संमतभद्रस्वामीकृत संस्कृत और भाषाटीका सहित चित्रकाव्य ॥)
२. धर्मरत्नोद्योत-चोपाईबंध श्रावकाचार आदि अनेक विषय भूषित)
३. धर्मप्रश्नोत्तर-(प्रश्नोत्तरश्रावकाचार) यह भी अनेक विषयोंकी चर्चा सिखानेवाला बहुतही सरल प्रश्नोत्तररूप बड़ा उपयोगी ग्रंथ है । मूल्य २) रु०। ४. महावीरस्वामीका चरित्र-एक आना १०० लेनेवालोंको ३)सैकड़ा ।
मिलनेका पता-पन्नालाल बाकलीवाल व्यवस्थापक-भारतीयजैनसिद्धांतप्रकाशिनी संस्था
ठि. मैदागिन जैनमंदिर-पोष्ट बनारस सिटी ।
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कर्नाटक छापखाना, बम्बई,
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