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. जैनातैषी
२ सुधर्मास्वामीसे लेकर अब तककी पट्टावलियाँ,३समस्त गच्छोंके नाम
और उनका इतिहास, ४ जैनप्रभावक-कवि-मंत्री और स्त्रियोंका इतिहास, ५ जैनतीर्थोंका इतिहास, ६ चन्द्रगुप्त, अशोक, कुणिक, संप्रति, आदि मौर्यवंशी राजाओंका इतिहास, ७ अकबर और जहँगीरके फरमान, ( वल्लभसम्प्रदायका जैनों पर पड़ा हुआ प्रभाव, ९ गुजरातके जैन राजा, १० कुमारपालके समयका गुजरात, ११ गुजरातके इतिहासमें जैनोंकी सेवा, १२ अल्लाउद्दीन खिलजी आदि मुसलमान और जैनमंदिर, मन्दिरोंकी , बनी हुई ममजिदें; शिलालेख और जैनशिल्पकलाके इस विषयमें विश्वस्तप्रमाण, १३ जैनोंके सब सम्प्रदाय और उनकी मान्यताओंकी भिन्नता, १४ प्राचीन जैन व्यापारी और उनकी व्यापार पद्धति, १५ भोजकोंकार उत्पत्ति, १६ महावीर स्वामीकी निर्वाणतिथिका निर्णय, १७ जैनदर्शनकी प्राचीनता, १८ जैन इतिहासके साधन । साहित्य १ जैनेतर साहित्यमें जैनधर्मका या जैनोंका उल्लेख, २ जैनसंस्कृत औप्राकृत साहित्य, ३ प्राकृतभाषाका उद्धार कैसे हो ? ४ जैनन्यायर साहित्य, धर्मसाहित्य, कथासाहित्य, नाटकसाहित्य, ५ बंगाली, मराठी, कानडी, आदि देशभाषाओंमें जैनसाहित्य, ६ अपभ्रंशभाषा, ७ जैन पुस्तकालय, ( प्राकृत साहित्यका संस्कृतमें अनुवाद, जैनदर्शनकी अन्यदर्शनोंसे तुलना । आदि । आशा है कि हमारे दिगम्बरी विद्वान् भी इनमें से किसी विषयमें कुछ लिखनेकी कृपा करेंगे । सम्पादक महाशय हिन्दी लेखोंके प्रकाशित करनेका भी आश्वासन देते हैं।
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