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जैनहितैषी -
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नाथकाव्यकी प्रेस कापी तैयार कराई जा रही हैं। प्रूफसंशोधकका प्रबन्ध न होनेसे और प्रेसकी शिथिलता से पहले ग्रन्थके तैयार होनेमें आशासे अधिक विलम्ब होगया; परन्तु अब ऐसा प्रबन्ध किया गया है कि तीनों ग्रन्थ जल्द तैयार हो जायँ । पाठकों को यह तो मालूम ही है कि यह माला केवल ग्रन्थोद्धार और ग्रन्थ प्रचारकी दृष्टिसे जारी की गई है और इसीलिए इसके तमाम ग्रन्थ लागत के मूल्य पर बेचे जावें । इसमें इसके संस्थापकों या संचालकोंका निजी स्वार्थ कुछ भी नहीं है । इसलिए हम आशा करते हैं कि श्रुतपंचमी के अवसर पर हमारे पाठक ग्रन्थमालाको अवश्य स्मरण कर लेंगे और इसके लिए कुछ न कुछ सहायता भेजेंगे । सागारधर्मामृत कीएक हज़ार प्रतियाँ छपाई जा रही हैं । पाठक यह जानकर प्रसन्न होंगे कि अमरोहा मुरादाबाद निवासी बाबू बिहारीलालजी के पुत्र ने इसकी २५० प्रतियाँ मुफ्त में वितरण करने के लिए खरीद ली हैं जो तैयार होते ही भेज दी जावेंगी। बाबू साहबको और उनके सुपुत्रको हम हृदय से धन्यवाद देते हैं और आशा करते हैं कि अन्यान्य धर्मात्मा भाई भी इसी तरह ग्रन्थमालाको सहायता पहुँचायेंगे । २५० प्रतियाँ खरीदनेवाले सज्जन यदि चाहें तो उनका फोटो ग्रन्थके साथ लगवा दिया जायगा । इन तीनों ग्रन्थोंमें तीन तीन सौ रुपयोंसे अधिक खर्च न पड़ेगा । एक ग्रन्थकी २५० प्रतियाँ वितरण करनेके लिए ले लेना, जिसमें लगभग ७५ ) खर्च होंगे, एक साधारण स्थितिके गृहस्थको भी भारी न होगा ।
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