SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 107
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विविधप्रसङ्ग । विविध प्रसङ्ग । १ एक इतिहासज्ञ विद्वान्‌का संदेशा | सुप्रसिद्ध इतिहासज्ञ डा ० विन्सेंट स्मिथने जैनसमाजके लिए जो सन्देश भेजा है वह इस अंकके प्रारंभ में दिया गया है । हम अपने समाजके नेताओंका और धनी महाशयोंका ध्यान उसकी ओर विशेष रूपसे आकर्षित करते हैं। वास्तवमें अब समय आगया है कि हम लोग अपना एक स्वतंत्र पुरातत्त्व विभाग खोलें और अपने प्राचीन इतिहासको सर्वागपूर्ण बनाने के साधन तैयार कर दें । इसकी आवश्यकता के लिए साहबने जो जो बातें कहीं हैं वे बहुत ही महत्त्वकी हैं। उनसे मालूम होता है कि जब तक जैनविद्वानोंका ध्यान इस ओर न जायगा और जैनसमाजके धनी इस काम में उत्साह न दिखलायेंगे तब तक जिन बातोंकी खोजकी आवश्यकता है वह न हो सकेगी । यह ठीक है कि हमारी सरकार अपने पुरातत्त्ववि - भागकी ओरसे बहुत कुछ प्रयत्न करती है और उसके द्वारा भी बहुतसी नई नई बातोंका पता लगता जाता है; परन्तु यह काम इतना बड़ा है और सरकारका कार्यक्षेत्र इतना विस्तृत है कि उसमें जैनइतिहासका भाग प्रायः नहींके बराबर होता है । इस लिए जैनसमाजको खुद चाहिए कि वह एक ऐसी संस्था स्थापित कर दे जिसके द्वारा प्राचीन स्थान खोदे जावें, जमीनके नीचे दबे हुए मठ मन्दिरों प्रतिमाओं और शिलालेखों का पता लगाया जावे, पुराने तीर्थस्थानोंकी खोजें की जावें, प्राचीन ग्रन्थ तलाश किये जावें और जैनराजाओंके सिक्के Jain Education International For Personal & Private Use Only ४९१ www.jainelibrary.org
SR No.522806
Book TitleJain Hiteshi 1914 Ank 07 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1914
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy