________________
मनुष्यकर्तव्य।
२०१
कोई सादा चीज है अथवा कई चीजोंकों मिल कर बना हुआ है। जगतमें जो मनुष्यमें भिन्न भिन्न अवस्थायें देखनेमें आती हैं वे किस चीज़का असर हैं । एक मनुष्य क्रोधके वश हो रहा है। आँखें लाल हो रहीं है। चेहरा तमतमा रहा है । तलवार हाथमें है। दूसरेके मार . डालनेको तैयार है । एक दूसरा मनुष्य-जो लोभमें फँसा हुआ है-हर वक्त उसको यही ख़याल रहता है कि किस प्रकार ज्यादह ज्यादह दौलत मिलती रहे । आधी रातका समय है । वह सिर और चेहरे पर कपड़ा लपेट कर अपने आपको छिपाता हुआ किसी धनीके यहाँ चोरी करनेके अभिप्रायसे जाता है। वहाँ जाते ही पकड़ा जाता है
और कैदखानेमें डाल दिया जाता है। ___ एक तीसरा मनुष्य है जो मानके घोड़े पर सवार है । अपने कुल, अपने बल, अपनी सुंदरता और अपनी सम्पदाके नशेमें चूर है । बड़ेसे बड़ेको तुच्छ और छोटा समझता है । एक और चौथा मनुष्य है जिसने मायांचारको अपना पेशा बना रक्खा है। सदा दूसरोंको मायाके जालमें फँसानेकी फिकरम लगा रहता है । उसके मनमें कुछ है और कहता कुछ और है। अंदर कुछ है
और बाहर कुछ है । पाँचवाँ एक और मनुष्य है जो काम और विषयकी चाहमें अंधा हो रहा है । इस धुनमें न उसको अपनीपराई बहू बेटीका खयाल है न किसीकी लाज शरम है । इस तरह सैकड़ों अच्छी बुरी हालतें मनुष्योंमें पाई जाती हैं। कोई राजा है कोई रंक । कोई धनी है कोई निर्धन । कोई रोगी
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org