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२००.
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जैनहितैषी
तोते पर अन्योक्ति।
गीत तोते तू तेरे करतबने,
इस बन्धनमें डाला है रे ॥ टेक ॥ सुन सीखे जो शब्द हमारे, उनको बोल रहा है प्यारे, मिठू, तुझे इसी कारणसे, कनरसियोंने पाला है रे ॥१॥ हा ! कोटरमें बास नहीं है, प्यारा कुनबा पास नहीं है, लोह-तीलियोंका घर पाया, अटका कष्ट कसाला है रे ॥२॥ सुआ सैकड़ों पढ़नेवाले, पकड़ बिल्लियोंने खा डाले, तू भी कल कुत्तेके मुखसे, प्राण बचाय निकाला है रे ॥३॥ पजे नहीं छुड़ा सकते हैं, क्या ये पंख उड़ा सकते हैं, चोंच न काटेगी पिंजड़ेको, 'शंकर' ही रखवाला है रे ॥४॥
पं० नाथूराम (शंकर) शर्मा। ( अनुरागरत्नसे)
मनुष्यकर्तव्य । ( बाबू ऋषभदासजी बी. ए. के उर्दू लेखका अनुवाद )
त्येक मनुष्यके लिए इस बात पर विचार करना Morang आवश्यक है कि मेरा क्या कर्तव्य है। मैंने इस ET संसारमें क्यों जन्म लिया और मुझें जन्म लेकर HOME क्या करना उचित है। इस पर विचार करनेसे पहले यह जान लेना अत्यन्त आवश्यक है कि मनुष्य क्या चीज़ है । वह
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