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विविध प्रसंग।
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यही विश्वास है कि हनुमान आदि मनुष्य नहीं थे; वे बन्दर रीछ आदि प्राणियोंमेंसे थे । किन्तु यह बात आजकलके विचारशील विद्वानोंको असंभव मालूम होती है । इस विषयमें वे तरह तरहके अनुमान करते हैं । कोई उन्हें अनार्य जातिके मनुष्य, कोई द्रविड़ जातीय मनुष्य और कोई वानरादिके समकक्षी मनुष्य कल्पित करते हैं । इस विषयमें मराठी 'विविधज्ञानविस्तार' में कई लेख निकल चुके हैं । सितम्बरके अंकमें एक महाशयने यह सिद्ध किया है कि वे लेमूरियन जातिके प्राणी थे । जहाँ पर इस समय हिन्दमहासागर है, वहाँ एक समय एक बड़ा भारी भूखण्ड था । वह सण्डा द्वीपसे एशियाके दक्षिण तटको घेरता हुआ आफ्रिकाके पूर्वतट तक विस्तृत था । इस प्राचीन विशाल खण्डको एक विद्वान्ने लेमूरिया नाम दिया है; क्योंकि उसमें बन्दर सरीखे प्राणी रहते थे । लेमूरिया एक प्रकारके मनुष्योंसे मिलते हुए बन्दर थे । इसका प्रतिवाद दिसम्बरके अंकमें श्रीयुक्त चिन्तामणि विनायक वैद्य एम. ए. एल एल. बी. नामक प्रसिद्ध विद्वान्ने किया है । आपने रामचन्द्रका समय ईस्वी सन्से लगभग चार हज़ार वर्ष पहले अनुमान किया है और इसमें मुख्य प्रमाण यह दिया है कि महाभारतके युद्धमें दुर्योधनकी ओरसे लड़नेवाला कोसलाधिपति बृहद्दल नामका राजा रामका वंशज था । पुराणों में और महाभारतमें इसका उल्लेख है । यह रामकी ३.० वीं पीढ़ीमें था । एक पीढ़ीके यदि ३० वर्ष गिने जावें तो महाभारतसे लगभग ९०० या हजार वर्ष पहले रामचन्द्रका समय आता हैं । महाभारतका समय ई० सन् से ३१०१ वर्ष पहले
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