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________________ ८० जैनहितैषी यह प्रस्ताव बिलकुल नया है । आशा है कि इसको अमलमें लानेके लिए भी कुछ उद्योग किया जायगा । ३ सभाकी ओरसे एक 'प्रभात ' नामका मासिक पत्र निकाला जाय । ४ जैनसाहित्यको प्रकट करके उसका बहुलताके साथ प्रचार किया जाय । मालवाप्रान्तिक सभाके अधिवेशनमें इस प्रकारका प्रस्ताव पास हो जाना यह बतलाता है कि हम अपने मार्गमें बराबर प्रगति करते जा रहे हैं । जब पहले अधिवेशनमें मुद्रित जैनग्रन्थोंके आद्य प्रचारक सेठ हीराचन्द नेभिचन्दजी सभापति हो चुके थे, तब इस अधिवेशनमें इस प्रस्तावका पास होना बिलकुल · क्रमयुक्त ' हैं—यह होना ही चाहिए था। - फुटकर बातें।. . सभामें अनेक विद्वान् उपस्थित हुए थे। उनके कई व्याख्यान और शास्त्रीय चर्चायें हुई। जैनमहिलापरिषत्की भी तीन बैठकें हुई । कई स्त्रियोंके व्याख्यान हुए और कई प्रस्ताव पास किये गये। सबसे बड़ी महत्त्वकी बात यह हुई कि श्रीमती बेसरबाईने स्त्रीशिक्षाके प्रचारके लिए २५ हज़ार रुपयेकी रकम देना स्वीकार की ! जैनसिद्धान्तपाठशाला मोरेना आदि संस्थाओंको लगभग दो हज़ार रुपयोंकी सहायता मिली। अशान्तियोग । - इस समय हमारे समाजमें जो · विचारभेद ' हो रहा है उसकी साक्षी देनेके लिए अब प्रायः प्रत्येक ही सभामें अशान्तियोग आकर उपस्थित हो जाता है । इस जल्सेमें भी इसके कुछ समयके लिए Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522801
Book TitleJain Hiteshi 1914 Ank 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1914
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size12 MB
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