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महावीरस्वामीका निर्वाणसमय ।
स्वामीके निर्वाणके ६० वर्ष पश्चात् हुई । प्रथम नंदराजाके विषयमें हेमचन्द्राचार्यकी दृष्टि अच्छी मालूम होती है । सम्भवतः वह जैनधर्मका संरक्षक और प्रेमी था। यह बात उदयगिरिके खारवेलके लेखसे भी सिद्ध होती है।
इन ६० वर्षों में कुछ वर्ष कुणिकने राज्य किया और शेषकाल उदयनने राज्य किया । अतएव यदि मेरे मतानुसार बुद्धदेवकी ई० सन् से ४७७ वर्ष पूर्व मृत्यु हुई है तो अजातशत्रु (कुणिक ) ई० सन्से ४ ८३ वर्ष पूर्व राज्यसिंहासन पर बैठा होगा । अजातशत्रुका सबसे पहला काम कौशलके राजासे युद्ध करना था । भगवती सूत्रके अनुसार गोशाल, जो महावीरसे बड़ा द्वेष रखता था, इस युद्धके समाप्त होते ही श्रावस्तीमें मर गया था और महावीर १६ वर्ष बाद तक रहे । गोशालके विषयमें जो और समय दिये हैं उनसे भी यह बात मिलती है । जब गोशाल मरा, उस समय महावीर स्वामीकी अवस्था ५६ वर्षकी होगी । इससे अनुमान होता है कि महावीरस्वामीका निर्वाण ४८३-१६-४६७ वर्ष पूर्वमें हुआ होगा । जहाँ तक मैं अनुमान करता हूँ ऐसा कोई कथन नहीं कि जिसके अनुसार महावीरस्वामीका अजातशत्रुके समयमें निर्वाण हुआ और न कोई ऐसा ही कथन है कि उनकी उदयनसे भेट हुई । मेरे विचारमें हमको यह नतीजा निकालना चाहिए कि बौद्धग्रंथोंमें जो अजातशत्रुका राज्यकाल ३० वर्ष दिया है वह ठीक है और यदि अजातशत्रु और उदयनके बीचमें कोई और राजा नहीं हुआ तो उदयनने ३३ वर्षसे भी अधिक राज्य
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