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________________ जैनहितैषी - किया । चंद्रगुप्तके विषयमें मेरुतुंगका मत है कि उसने ई० सन्से ३१२ वर्ष पूर्वमें अपना सम्वत् चलाया । यद्यपि मैं इससे सहमत नहीं हूँ, मेरी रायमें चन्द्रगुप्तने कोई सम्वत् नहीं चलाया, तथापि इससे भी यही सिद्ध होता है कि महावीर स्वामीका निर्वाण ई० सन्से ४६७ वर्ष पूर्व हुआ । कारण, यह कहा जाता है कि चन्द्रगुप्तका वीर भगवान् के १५५ वर्ष बाद, राज्याभिषेक हुआ । ५२ प्रोफेसर जेकोबीने कल्पसूत्रकी भूमिका ४६७ वर्ष पूर्वके और भी कई प्रमाण दिये हैं । हेमचंद्र से पीछेकी जितनी कथायें हैं सबमें भद्रबाहुकी मृत्यु वीर भगवानसे १७० वर्ष बाद बतलाई है और भद्रबाहुका चन्द्रगुप्तके समय से निकटतम सम्बंध है । इससे भी सिद्ध होता है कि ४६७ वर्ष पूर्व ही महावीर भगवान्का निर्वाण हुआ । उसी हिसाब से भद्रबाहुका समय ई० सन्से २९७ वर्ष निकलता है । यहीं चन्द्रगुप्तका समय है । इसी प्रकार अनेक युक्तियाँ देते हुए, जिनका हमने यहाँ उल्लेख करना विशेष उपयोगी नहीं देखा, लेखक महाशय अपने लेखको समाप्त करते हैं और अंतमें अपने विज्ञ पाठकोंसे सानुरोध प्रार्थना करते हैं कि इस विषय पर पूर्णरूपसे अन्वेषण करें । हम भी अपने पाठकोंसे निवेदन करते हैं कि हमने इस लेखमें मूल लेखक महाशय के विचारोंका दिदर्शन मात्र कराया है । पाठकोंको उचित है कि इस नवीन मत पर पक्षपातरहित विचार करें । यदि लेखक महाशयके विचार अयुक्त हों अथवा ५२७ वर्ष पूर्वके प्रबल अकाट्य प्रमाण आपके पास मौजूद हों तो आप उनको Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522801
Book TitleJain Hiteshi 1914 Ank 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1914
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size12 MB
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