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जैनहितैषी-
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देरके लिए मान भी लिया जाय कि उनका मत ठीक है तो भी महावीर स्वामीका निर्वाण ई० सन्से ५२७ वर्ष पूर्व नहीं हो सकता।
निश्चयसे गौतम बुद्धका निर्वाण ई०सन्से ४७७ वर्ष पूर्व हुआ । चूंकि उनकी आयु ८० वर्षकी हुई, इसलिए उनका जन्म ई० सन् से ५५७ वर्ष पूर्व हुआ होगा । पाली ग्रंथोंसे जो इस विषयके मूल आधार हैं, ज्ञात होता है कि जिस समय बुद्धदेवने गृहस्थाश्रमको त्याग किया उस समय उनकी अवस्था २९ वर्षकी थी और जिस समय उनको बोध हुआ उस समय ३६ वर्षकी थी, अर्थात् दूसरे शब्दोंमें वे ई० सन् से ५२० वर्ष पूर्व बुद्ध हुए। इस हिसाबसे स्पष्ट विदित होता है कि महावीर स्वामी और बुद्धदेव कभी नहीं मिले होंगे और पाली ग्रंथोंमें जो कुछ नातपुत्त और उसके अनुयायियोंके विषयमें लिखा है वह सब आद्योपांत असत्य और कल्पित है। परंतु यह सर्वथा मिथ्या है; ऐसा कदापि नहीं हो सकता । अतएव महावीर स्वामीका निर्वाण कदापि ई० सन्से ५२७ वर्ष पूर्व नहीं हुआ; किंतु उससे ६० वर्ष पीछे अर्थात् ईस्वीसन्से ४६७ वर्ष पूर्व हुआ और इसीको तीसरे भागमें लेखक महाशय जैनकथाओंके अनुसार सिद्ध करते हैं।
हेमचन्द्राचार्यके लेखानुसार कुणिकका चम्पामें देहान्त हुआ और उसका पुत्र उदयन राज्यका अधिकारी हुआ । यह राजा बड़ा बलवान् था; परन्तु इसको एक व्यक्तिने धोखेसे मार डाला और इसके बाद नंद राजा हुआ । कथानुसार यह घटना महावीर
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