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जैनहितैषी
एक आध मिनिटकी फुरसत मिलती, तो मैं (दूसरा कार्य न होनेसे) कुलाटेही खाने लगता या सिरके बल खड़ा होजाने लगता था ! इस भाँति मेरी शारीरिक चपलता बहुत ही बढ़ गई थी।"
उपवासकी जाँच । ___ सबसे ज्यादा आवश्यकीय और लोगोंको पूर्णतया भरोसा दिलाने वाली बात कारनेजी इंस्टिट्यूशन ( Nutrition laboratory of the Carnegie Institution of Washington ) की है कि जहाँ उपवासकी जाँच पूर्ण योग्यता और उत्तमताके साथ ' सायंटिफिक ' रीतिसे कुछ अरसा हुआ चल रही है और उसमें कई आजमायशे हो भी चुकी हैं। पाठकोंको विदित होगा कि मिस्टर कारनेनीने सांइसकी शोधके लिए उक्त संस्थामें लगभग ९ करोड़ रुपया लगाया है। इस संस्थाके सबसे बड़े प्रोफेसर फ्रांसीस डी. बेनीडिक्ट हैं कि जो बहुत अनुभवी और उत्साही गिने जाते हैं। इन प्रोफेसरसाहबने एक कल ऐसी बनाई है कि उसके अन्दर प्रवेश करनेसे मनुष्यके सब अवयवोंकी हरकतें वहाँ अंकित हो जाती हैं। दम किस भाँति चलता है, रक्त कैसे फिरता है और प्रत्येक अवयव किस भाँति काम करता है; इत्यादि सूक्ष्मसे सूक्ष्म क्रियाओंका भी इस कलमें उल्लेख हो जाता है। ___ इस संस्थाके कितने ही विद्यार्थियों पर उपवासकी जाँच की गई है। इतना ही नहीं किन्तु उन्होंने कितने ही बाहरके मनुष्योंपर भी जाँच करके यह निश्चय किया है कि कोई भी साधारण मनुष्य दोसे सात दिनों तक बिना खुराकके केवल जलके आधार पर ।
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