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________________ तपका रहस्य | ३१ ही रह सकता है और इससे उसको किसी भाँतिकी हानि या तकलीफ़ नहीं होती । उपवास करनेसे मनुष्य प्रति दिन आधा सेर वजनमें कम होता है; किन्तु उपवास तोड़ने अर्थात् पुनः खुराक लेना प्रारम्भ करने बाद खोये हुए वजनसे द्विगुण वजन प्राप्त करता है । इस वजनकी पुनः प्राप्तिका कार्य बहुत ही शीघ्रतासे होता है । सात दिनोंके उपावासका परिणाम | सात दिनोंके उपवाससे तपस्वीके शरीरमें से ८१ ग्राम (Grammes) नाइट्रोजन ( Nitrogen ) कम हो जाता है; और १२ दिनोंमें वह उसे पुनः प्राप्त कर लेता है । ऐसी दो तपस्यायें करनेके बाद एक साथ ५४ ग्राम नाइट्रोजन उसके शरीर में बढ़ जाता है । इस भाँति उपवास–तपस्यारूप बाह्य तपके असंख्य लाभ हैं । अथवा यों कहो कि शरीररूपी मैशीनके कल पुरज़े साफ करने के लिए और उसको सशक्त बनानेके लिए बाह्य तपकी बहुत आवश्यकता है । इसके बिना वह अच्छी तरह काम नहीं दे सकता । हमें पाश्चात्य विद्वानोंके अभिप्रायसे मालूम हुआ है कि उपवास केवल शरीरको ही लाभ नहीं पहुँचाता है, किन्तु मनको भी शान्ति देता है। इसके सिवाय इससे बाह्य वस्तुओंकी आसक्तिको वशमें करनेकी आदत पड़ती है और यह एक बहुत बड़ा लाभ है । किन्तु उपवास के बाद कम खानेका, बहुत ही सादा भोजन कर - नेका, और तन्दुरुस्ती के सामान्य नियम भली भाँति पालनेका पूरा ध्यान रखना चाहिए । यह बात कभी न भूलना चाहिए । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522801
Book TitleJain Hiteshi 1914 Ank 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1914
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size12 MB
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