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पंजे हैं। एकके हाथमें पुष्प और दूसरेके हाथमें माला है । इनके भी नीचे दो नग्न स्त्रियाँ स्तूपके सहारे झुकी खड़ी हैं | सीढ़ियोंके दोनों ओर एक एक चित्र है । इनमेंसे एक पुरुष बालकसहित है और दूसरी स्त्री है। यह साफ नहीं है । गुम्बज पर एक प्राकृतका लेख छह पंक्तिका है:
" नमो आर्हतो वर्धमानस आराये गणिकालोणशोभिका धितु शमणसाविकाये नादाये गणिकाये वसु ( ये ) आर्हातो देविकुल आयाग-सभा प्रपा शिल (1) प (टो) पातस्ठ (1) पितो निगथानं अर्ह (ता) यतने स (हा) म (1) तरे भगिनिये धितरे पुत्रेण सर्वेन च परिजनेन अर्हत् पुजाये । "
अनुवाद - अर्हत् वर्धमानको नमस्कार । श्रमणोंकी श्राविकां आय ( आर्याया: : ) गणिका लोणशोभिका ( लवणशोभिका ) की पुत्री नादाय ( नंदायाः ) गणिका वसुने अपनी माता, पुत्री, पुत्र और अपने सर्व कुटुम्बसहित अर्हत्का एक मंदिर, एक आयाग सभा, ताल (और) एक शिला निग्रंथ अर्हतोंके पवित्रस्थान पर बनवाये ।
ऐसा मालूम होता है कि इस आयागपटके दोनों तरफ दो नग्न स्त्रियाँ पटकी ऊँचाईके बराबर और खड़ी थीं। पहले स्मिथ साहबने जो इसकी फोटो ली थी उसमें ये मौजूद हैं। दूसरी बार यह पट होली दरवाजेके पास कुएमें गिरा हुआ मिला। इसी हेर फेरमें ये स्त्रियाँ इससे अलग हो गई होंगी । अब ये अजायबघर में अलग रक्खी हुई हैं ।
इमारतोंके अंश ।
आयाग-पटोंके अतिरिक्त जैनस्तूपोंके अस्तित्वके और भी प्रमाण लीजिए। इमारतोंके अंशों पर भी स्तूपोंके चित्र मिले हैं ।
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