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મોક્ષ પાને કા ઉપાય
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कत्तुं कर्माष्टक निरसनं साधनं मुक्तिलक्ष्म्याः
तीर्थ यात्रा स नवनवतिं प्रेमपूर्व व्यधत्त । नैतत्तुल्यं तप इति मनोऽभीष्टदं भावयन्तम्
पन्यासं हिम्मतविमलनामानमार्य नमामि ॥८॥ અર્થ–મુક્તિ રૂપી લક્ષ્મીનું સાધન રૂપને અષ્ટ કર્મને નાશ કરવા માટે, તે શત્રુંજય તીર્થની ૧૩ વખત નવાણું યાત્રા પ્રેમ પૂર્વક જેમણે કરી છે. તે યાત્રા , તુલ્ય મનને ઈચ્છિત આપનાર બીજું તપ કેઈ નથી. આ પ્રમાણે ભાવનાને કરતા વિમલગચ્છના અધિપતિ મહારાજશ્રી હિંમતવિમલજીને હું પ્રણામ કરું છું. .
मोक्ष पाने के उपाय
ले. जैन भिक्षु भद्रानंद जो लोंक कर्मो से विमुक्त होना चाहते है अर्थात् कर्मपटलसे आवृत अपने परमात्म भाव को प्रकट करना चाहते हैं उनके लिये तीन साधनों की आवश्यकता है । श्रद्धा, ज्ञान
और क्रिया इसीको जैन शास्त्रों में सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र कहा है। कहीं कही ज्ञान और क्रिया, इन दो को ही मोक्षका साधन कहा है कारण दर्शन को ज्ञान स्वरूप-ज्ञान का विशेष-समझ कर उससे जुदा नही माना है किन्तु यह प्रश्न होता है कि वैदिक दर्शनों में कर्म, ज्ञान, योग और भक्ति इन चारों को मोक्ष का साधन माना है फिर जैन दर्शन में तीन या दो ही साधन क्यों माने गये ? इसका समाधान इस प्रकार है कि जैन दर्शन में जिस सम्यक् चारित्रको सम्यक् क्रिया कहा है उसमें कर्म और योग दोनों मार्गों का समावेश हो जाता है क्यों कि सम्यक् चारित्र में मनोनिग्रह, इन्द्रिय-जय, चित्तशुद्धि, समभाव और उनके लिये किये जानेवाले उपायों का समावेश होता है । मनोनिग्रह, इन्द्रियजय आदि सात्विक यज्ञ ही कर्ममार्ग है और चित्त-शुद्धि तथा उसके लिये कीजानेवाली सत्प्रवृति ही योग मार्ग है। इस तरह कर्ममार्ग और योग मार्गका मिश्रण ही सम्यक्चारित्र है । सम्यग्दर्शन ही भक्तिमार्ग है, क्यों कि भक्ति में श्रद्धा का अंश प्रधान है और सम्यग्दर्शन भी श्रद्धा रूप ही है । सम्यग्ज्ञान ही ज्ञान मार्ग है । इस प्रकार जैन दर्शन में बतलाये हुये मोक्ष के तीन साधन अन्य दर्शनों के सब साधनो का समुच्चय हैं। किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिये उपरोक्त-श्रद्धा, ज्ञान और क्रिया । इन.. तीन बातों की आवश्यकता होती है । इन तीनों का सामान्य विवेचन करके प्रथम सम्यग्द-, र्शन (श्रद्धा)का विशेष विवेचन किया जायगा । श्रद्धा का अर्थ स्वपरआत्महितकारक सत्य विषयपर विवेक पूर्वक दृढ़ विश्वास है । हेयज्ञेयोपादेय रूप वस्तु को यथार्थ जानना ज्ञान है.