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________________ 26 अपभ्रंश भारती 21 बनाते हुए अध्यात्मप्रधान पाहुडदोहा की रचना कर पाहुड-परम्परा को पुष्ट किया। इस कृति की महत्ता डॉ. प्रेमसागर जैन ने इस प्रकार दर्शायी - "मध्यकाल के प्रसिद्ध मुनि रामसिंह का ‘पाहुडदोहा' अपभ्रंश की एक महत्त्वपूर्ण कृति है। इसमें वे सभी प्रवृत्तियाँ मौजूद थीं जो आगे चलकर हिन्दी के निर्गुणकाव्य की विशेषता बनीं। उनमें रहस्यवाद प्रमुख है।" उपनिषदों में ब्रह्म एक विश्वव्यापी तत्त्व माना गया है। समस्त जीवात्माएँ उस विश्वव्यापी तत्त्व का अंश हैं। उपनिषदों का ब्रह्म प्रत्येक वस्तु का उत्पादक और आश्रय है। प्रत्येक जीवात्मा का विलय ब्रह्म में हो जाता है। वेदान्त में आत्मा, परमात्मा और विश्व एक ब्रह्मस्वरूप है। वह निर्गुण है, स्वतंत्र और सनातन तत्त्व है। वह एक और अद्वैत है। उपनिषद के अनुसार विश्व ब्रह्म है और ब्रह्म आत्मा है। उपनिषद आत्मा और ब्रह्म के ऐक्य का समर्थन करते हैं। आत्मा की सत्ता का ब्रह्म से मिलन होना ही रहस्य का मूल है। इस ब्रह्म को ही परमब्रह्म या परमात्मा कहते हैं। सम्पूर्ण सृष्टि उस परम ब्रह्म की एक सत्ता है। उपनिषद और वेदान्त एकार्थवाची हैं। इसमें आत्मा का परमब्रह्म से मिलन होना एवं उससे एकत्व की साधना अखण्ड आत्मानुभूति की साधना से होती है. इसी बिन्दु से रहस्यवाद को निश्छल भावात्मकता का प्रकाशन होता है जिसमें अंश अंशी के साथ एकात्मकता की अनुभूति करता है। डॉ. राममूर्ति त्रिपाठी के शब्दों में, "रहस्यवाद रहस्यदर्शियों का वह सांकेतिक कथन या वाद है, जिसके मूल में अखण्डानुभूति और आत्मानुभूति निहित है।"9 रहस्यवाद में परमब्रह्म की अनुभूति को सांकेतिक भाषा में प्रकट किया जाता है। यह आध्यात्मिक अभिव्यक्ति है जिसे देश के संतों ने रहस्यात्मक अभिव्यंजना के माध्यम से रहस्यवाद को दर्शाया है। वेद, उपनिषद, बौद्ध सुत्तनिकाय, जैन अध्यात्म साहित्य एवं सिद्ध साहित्य में सच्चिदानन्द परमब्रह्म-परमेश्वर की रहस्यात्मक अभिव्यंजना अपनी-अपनी प्रचलित-रूढ़ शब्दावली में उपलब्ध है जो जीवन को आलोकित करती है। जैन साधक सन्तों की आध्यात्मिकता को दृष्टिगत कर डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी ने भी जैन साधकों को रहस्यवादी स्वीकार किया है।10
SR No.521864
Book TitleApbhramsa Bharti 2014 21
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2014
Total Pages126
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Apbhramsa Bharti, & India
File Size7 MB
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