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________________ अपभ्रंश भारती 21 'पार्श्वनाथ चरित्र', सं. 1312 का भावदेव का ‘पार्श्वनाथ चरित्र', भट्टारक सकलकीर्ति सं. 1470 का ‘पार्श्वपुराण', पं. रइधू का ‘पासणाह चरिउ', सं. 1515 का तेजपाल का ‘पार्श्वनाथ चरित्र', सं. 1640 का वादिचन्द्र का ‘पार्श्वपुराण', भट्टारक चन्द्रकीर्ति का सं. 1654 का ‘पार्श्वपुराण', सं. 1697 का कल्याणकीर्ति का ‘पार्श्वनाथ रासो', सं. 1787 का भूधरदास का 'पार्श्वपुराण' उल्लेखनीय चरित काव्य हैं। इसी श्रृंखला में श. सं. 999 (वि. सं. 1134) में पउमकित्ति विरचित 'पासणाह चरिउ' अपभ्रंश भाषा का विश्रुत पार्श्वचरित काव्य है जिसमें पार्श्वनाथ के पूर्वभव मरुभूति और कमठ के भवों के क्रमशः सदाचार और अत्याचार की कहानी है, जो उत्तर पुराण पर आधारित है। . इन विभिन्न ग्रन्थों में पार्श्वनाथ का जो जीवन वर्णित है उसके अनुसार भगवान महावीर के जन्म से 350 वर्ष पूर्व वाराणसी के राजा के पुत्र के रूप में पार्श्व का जन्म हुआ। तीस वर्ष की आयु तक वे अपने माता-पिता के पास रहे, फिर प्रसंगवश संसार से उदासीन हो दीक्षा ग्रहण की। कठोर तपस्यानन्तर अपने उपदेशों से जनकल्याण किया। 100 वर्ष की आयु पूर्ण कर सम्मेदशिखर पर भौतिक शरीर का परित्याग किया। ___ यहाँ यह उल्लेख्य है कि पार्श्वनाथ कोई पुराण पुरुष ही नहीं थे, अपितु वे एक ऐतिहासिक महापुरुष थे। देशी-विदेशी सभी इतिहासों ने इसकी पुष्टि की है कि महावीर के पूर्व भी निर्ग्रन्थ सम्प्रदाय वर्तमान था जिसके प्रधान पार्श्वनाथ थे। . चातुर्याम धर्म का उपदेश उन्होंने ही दिया। बौद्ध साहित्य में महावीर व उनके शिष्यों को चातुर्याम मुक्त कहा है। आचारांग सूत्रानुसार महावीर के माता-पिता पार्श्वनाथ के अनुयायी थे। प्रस्तुत लेख में 'पउमकित्ति' के 'पासणाह चरिउ' पर प्रासंगिक विवेचन प्रस्तुत किया गया है - ‘पउमकित्ति' या पद्मकीर्ति इस प्रसिद्ध अपभ्रंश कृति 'पासणाह चरिउ' के रचयिता हैं। 'पासणाह चरिउ' की प्रत्येक संधि के अन्तिम कडवक के घत्ता में, चतुर्थ संधि के अंत में ‘पउम भणई' तथा 5वीं, 14वीं और 18वीं संधियों के अन्तिम पत्ता छन्दों में ‘पउमकित्ति' शब्द के प्रयोग से यह निश्चित है कि यह ‘पउम' नाम ग्रन्थकार का है। 14वीं व 18वीं संधियों में ‘पउम' के साथ उल्लिखित 'मुणि' शब्द से ग्रन्थकार का मुनि होना प्रकट होता है -
SR No.521864
Book TitleApbhramsa Bharti 2014 21
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2014
Total Pages126
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Apbhramsa Bharti, & India
File Size7 MB
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