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अपभ्रंश भारती 21
विविह
गाम
आसातर
6.8
6.9 घत्ता
वर
होस
पगाम
भंजेसहि
मढ
देवल
विहार
पूरेसहि
सरवर
जल
अपार
होसइ
दुट्ठ
हे भत्त
जीव
वसई
पावमइ
उवहासु
करेसहि
जिणवरहो
पर-धण
महिला
सत्तइ
दुखमा- दुखमा 7.1
अइ
दुसमु-दुस्समु
भीम
कालु
विभिन्न
ग्राम
इच्छाओं का वेग
प्रबल
होगा
अत्यधिक
विनाश करेंगे ( नष्ट करेंगे)
मठ (संन्यासियों के निवास स्थल)
मन्दिर, देवालय
उपाश्रय
भरेंगे
सरोवर
जल
अथाह, अधिक
लोग
होंगे
दुष्ट
हे स्वामी
जीवों का ( को )
वध करेंगे, मारेंगे
पापयुक्त
उपहास
करेंगे
जिनवर का
पर-धन (और)
(पर) नारी ( के प्रति ) आसक्त (होंगे)
अत्यधिक
दुखमा दुखमा
भीषण
समय
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