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________________ 108 6.4 6.5 6.6 6.7 वीसहि' (वासहि) वीसा उ (वीसा + सउ) णिरत्त कंदल - पिय णरवइ अत्थलुद्ध होएस हिं अवरोधक सकुद्ध लुट्टेसहि पट्टण गाम देस दंडीसहि पामरजण असेस कंदर गिरि वण चरवण पवेसि वि णर मिछा हि देसि उव्वसहो ( आवास करना) आयु एक सौ बीस (वर्ष) अत्यधिक आसक्ति युक्त कलह-प्रिय राजा अर्थ (धन) के लोभी / लोलुप होंगे परस्पर, आपस में युक् लूटेंगे नगर ग्राम जनपद प्रताड़ित किये जायेंगे अज्ञानी जन सब कंदरा - गुफा पर्वत वन, जंगल गमन करना प्रवेश करनेवाले निवास करेंगे लोग असल, झूठे वाक्यालंकार द्वेष करनेवाले निर्जन एस जनपद हि पदपूर्ति 1. यहाँ ‘वासहि' शब्द उपयुक्त होगा। अपभ्रंश भारती 21
SR No.521864
Book TitleApbhramsa Bharti 2014 21
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2014
Total Pages126
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Apbhramsa Bharti, & India
File Size7 MB
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