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अपभ्रंश भारती 21
5.10 घत्ता हलहर
दुखमा
6.1
6.2
6.3
केसवकित्ति
धम्म-पयत्तण
तित्थइ
अइसय
केवलणाणइ
हुवई
कालि
चउत्थइ
पंचमु
कालु
दूसमु
उहु
होएसइ
भारिउ
दुह- सम्मुद्दु
दुक्खिय
होस
लोय
ताम
गय
वरिस
सहस
इक्कीस
जाम
उच्चत्तु
तित्थु
आहु
हत्थ
जे
बलदेव
वासुदेव / नारायण धर्म-प्रवर्तन (आगे बढ़ता हुआ )
तीर्थ
परिपूर्ण, भरा हुआ
केवलज्ञान
हुआ
काल में
चौथे
पाँचवाँ
काल
दुखमा
दारुण/ भीषण
होगा
कष्टकर
दुःख का समुद्र
वहाँ
दुःखी
होंगे
लोग
तब तक
व्यतीत, ( बीतने तक)
वर्ष
हजार
इक्कीस
जब तक
ऊँचाई
वहाँ
साढ़े तीन
हाथ
पादपूरक अव्यय
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