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106
5.7
5.8
5.9
हलहर
महिस (महीस)
सेव
तिखंडणा ह
पडवासुदेव
चउवीस
महा
तहि
कामदेव
आगम
पुराण
चट्ठिय
केवलि
परमेसर
रिसि
अय
णव
णाराइव
एयारह
हलधर, बलदेव
राजा
सेव्य (सेवा करने योग्य)
तीन खण्ड के नाथ
रुद्द
उप्पण्ण
पयउ
जिह
जगि
समुद्द
प्रतिवासुदेव
चौबीस
महान, श्रेष्ठ
वहाँ
कामदेव
आगम, धर्म ग्रन्थ
पुराण
चौंसठ भेदोंवाला
केवलि, केवलज्ञान से युक्त
परमेश्वर
ऋषि
अनेक
नौ
नारायण
ग्यारह
और
अपभ्रंश भारती 21
रुद्र
उत्पन्न हुए
प्रकट, प्रत्यक्ष
वाक्यालंकार
संसार
स्वर के हस्व,
समुद्र 1. अ, इ, उ, ऋ, लृ, ए, ऐ, ओ, औ इन दीर्घ व प्लुत अनुसार (3x9 =) 27 भेद; तेंतीस व्यंजन; अनुस्वार, विसर्ग व दो उपध्मानीय ये चार अयोगवाह अक्षर, इसप्रकार 27 + 33 + 4 = 64 चौंसठ अक्षरोंवाला ।
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश, 1.32,33