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अपभ्रंश भारती 21
क्रोध
मोह
कोहु मोहु पल्लोपम तहि
3.3
पल्योपम (माप विशेष) वहाँ
आसि
आउ
जणु
वसइ सयलु सुह-जणिय भाउ
3.4
कोडाकोडिउ तिण्णि जाम सायरहि कहिउ इह भरहि
आयु लोग (जन) रहते हैं समस्त सुख से उत्पन्न भाव वह (काल/समय) कोडाकोडी तीन परिमाण सागर कहा गया इस भरत क्षेत्र में उस समय दस प्रकार के कल्पवृक्ष श्रेष्ठ अद्भुत भोजन, आहार देते हैं प्रतिदिन निश्चिन्त, चिन्तारहित
ताम
3.5
दह
भेय
कप्पतर वर विचित्त
आहार देहिं दिवि-दिवि णिचिंत