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2.3
2.4
2.5
अवसप्पिणि उवसप्पणि
य
होइ
हिं
सुसमु-सुसमु
णामेण
कालि
अवयरिउ
पहिल्लाउ
सुह
विसालु
तर्हि
तिण्ण
कोस
देहु
पमाणु
आउसु
do
वि
तिण्णि
पल्लई
वियाणु
तहि
कालि
सयलु
यहु
भरहु
खेत्तु
कप्प
छायउ
विचित्तु
अवसर्पिणी
उत्सर्पिणी
और
होते हैं
तब
सुषमु- सुषमु (सुखमा - सुखमा)
नाम से
काल / समय
आया
पहला, प्रथम
सुख
उत्तम व्यापक
उस (काल) में
तीन
को
देह का
प्रमाण (आकार)
आयुष्य, आयु
भी
तीन
पल्य
जानो
उस
काल में
समस्त
यह
भरत
क्षेत्र
कल्पवृक्षों द्वारा
आच्छादित
अद्भुत
अपभ्रंश भारती 21