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________________ अपभ्रंश भारती 15-16 77 (1.2) (रावण के आश्चर्य का दादा सुमालि द्वारा समाधान) राजा रावण युद्ध में धनद को जीतकर पुष्पक विमान के ऊपर शीघ्र चढ़ा। वह स्वर्ण, मणि एवं रत्नों से प्रकाशित हुई लंका के सम्मुख जाता हुआ आकाश में चन्द्रमा के सदृश स्वच्छ व श्वेत कलश के समान अत्यन्त उज्ज्वल पर्वत के शिखरों को देखता है। उनको देखकर रावण ने आश्चर्य उत्पन्न करने वाला विकसित वचन कहा हे तात! पर्वत के शिखर पर पुष्प उत्पन्न होने वाला यह अद्भुत आश्चर्य क्या है? तब सन्तुष्टचित्त दादा कहते हैं- हे वत्स! झुके हुये शरीर से तुम इनको प्रणाम करो। ये उत्पन्न हुए पुष्प नहीं हैं, ये जिनालय में हिलती हुई श्वेत ध्वजाएँ हैं। __ घत्ता- जग में सत्कर्म में स्थित एवं बाधा रहित हरिषेण ने अपने सुन्दर व मनोहर देश व प्रदेश में पर्वत की कन्दराओं पर व पर्वत शिखरों पर जिनमन्दिर बनवाये हैं। (1.3) (रावण द्वारा दादा से हरिषेणचरित्र सुनाने के लिए कहने पर दादा सुमालि द्वारा कथा प्रारम्भ) भ्रमरसमूह एवं काजल के समान प्रगाढ़ कृष्णवर्ण शरीर तथा सन्तुष्टमन रावण पुनः कहता है- निश्चय से ऐसा कौन समर्थ पुरुष है जिसका श्रेष्ठ यश जग में फैला हुआ है। जिसने पृथ्वी पर लगातार जिनमन्दिर बनवाये हैं। हे तात! आप उनका यश मुझे बतावें। तब प्रसन्नता से भरे हुए सुमालि कहते हैं, हे दशमुख! तुम हरिषेण का चरित्र सुनो __सिद्धों को प्रणाम कर मैं सम्पूर्ण कथा कहता हूँ। स्वर्ण, मणि एवं रत्नों की विशाल शोभा एवं समृद्धि में असाधारण धनपुरी कपिल नगरी में बहुत लोग निवास करते हैं। वहाँ विसद्ध (विशेषशब्द- सिंहध्वज) नामक राजा रहता है, जिसका प्रताप दुश्मन के सैन्य समुदाय तक प्रकट होता है। जो अभिमानी, दानी, पराक्रमी तथा परस्त्री से विमुख चरित्रवान् है। उसकी महादेवी वप्रा रनिवास में श्रेष्ठ गुण व सुन्दर रूप धारण करनेवाली है। उसके कोमल शरीर, शत्रुजयी, ऐश्वर्यवान तथा कुल व जग का आभूषण पुत्र उत्पन्न हुआ। घत्ता- जन्म लेते ही जिसके प्रभाव से दुश्मन के घर में डर पैदा हुआ, मित्र प्रफुल्लित हुए, सम्बन्धी आनन्दित हुए, इसीलिये उसका नाम हरिषेण किया गया।
SR No.521860
Book TitleApbhramsa Bharti 2003 15 16
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2003
Total Pages112
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Apbhramsa Bharti, & India
File Size7 MB
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