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________________ अपभ्रंश भारती 13-14 'पउमचरिउ' के अनुसार जहाँ राजा दशरथ की चार रानियाँ थी तथा उन सभी से एक-एक पुत्र उत्पन्न था वहीं 'मानस' के अनुसार दशरथ की तीन रानियाँ थीं जिनमें दो रानियों के एक-एक पुत्र तथा एक रानी के दो पुत्र होने का उल्लेख प्राप्त होता है । सीता-उत्पत्ति आख्यान 10 'पउमचरिउ' के अनुसार राजा जनक के सीता नामक पुत्री तथा भामण्डल नामक पुत्र उत्पन्न हुआ परन्तु 'मानस' में प्रारम्भ में कहीं भी सीता-जन्म का उल्लेख नहीं मिलता है और न ही कहीं सीता के भाई का उल्लेख किया गया । 'पउमचरिउ' में सीता की कथा उनके जन्म से प्रारम्भ होती है परन्तु मानस में सीता की कथा पुष्पवाटिका से प्रारम्भ होती है। वहीं राम को उनका प्रथम दर्शन होता है तथा उसके उपरान्त ही सीता तथा राम का स्वयंवर होता है । राम के वन-गमन के समय भरत की स्थिति 'पउमचरिउ' के अनुसार राम के राज्याभिषेक तथा राम के वनगमन के समय भरत अयोध्या में ही थे, उनकी उपस्थिति में ही राम वनवास को गये । परन्तु 'मानस' में राम के वनगमन के समय भरत अपने ननिहाल में थे, राम के वन प्रस्थान के उपरान्त उनका अयोध्या आगमन होता है । परन्तु एक तथ्य दोनों में ही समान है- भरत का दशरथ तथा कैकेयी के प्रति विरोध तथा उनकी राम में अनन्य भक्ति एवं अनुपम अनुराग । राम के वनवास की अवधि 'पउमचरिउ' में राम के वनवास की अवधि सोलह वर्ष है तथा 'मानस' में यह अवधि चौदह वर्ष है । राम के वनगमन के उपरान्त दशरथ की स्थिति 'पउमचरिउ' के अनुसार राम के वन गमन के उपरान्त दशरथ दीक्षा ग्रहण कर लेते हैं। परन्तु 'मानस' के अनुसार राम वनगमन उपरान्त शोकातुर दशरथ मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। वन-मार्ग का तुलनात्मक अध्ययन 'पउमचरिउ' के अनुसार राम वनगमन के प्रसंग में वन मार्ग इस प्रकार था - अयोध्या से प्रस्थान करके राम तथा सीता लक्ष्मणसहित गम्भीर नदी पार करते हैं, वहाँ से दक्षिण की ओर प्रस्थान करते हैं, यहीं मध्य में राम की भरत तथा कैकेयी से भेंट होती है। स्वयंभू उस स्थान विशेष का नामोल्लेख नहीं करते हैं, उस स्थान विशेष के सम्बन्ध में मात्र इतना उल्लेख किया गया है कि वहाँ एक सरोवर व लतागृह था । वहाँ से राम भरत को अयोध्या भेजकर तापस वन, धानुष्क वन तथा भील बस्ती से होते हुए दो माह चित्रकूट में रहने के उपरान्त दशपुर नगर प्रवेश करते हैं । तदुपरान्त नलकूबर नगर से विंध्यगिरि की ओर प्रस्थान
SR No.521859
Book TitleApbhramsa Bharti 2001 13 14
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2001
Total Pages114
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Apbhramsa Bharti, & India
File Size8 MB
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