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________________ अपभ्रंश भारती - 11-12 23 पुरुषों हेतु वंदनाएँ वर्णित की गई हैं । स्वयंभू ने भी प्रारम्भ में जैन परम्परा अनुसार ऋषभजिन, मुनिजन, आचार्यजन तथा चौबीस तीर्थंकरों की अभ्यर्थना की है। ध्यातव्य है कि तुलसी ने अभ्यर्थना के पूर्व मंगलाचरण भी लिपिबद्ध किया है। यहाँ पर एक अन्य तथ्य उल्लेखनीय है कि तुलसी ने न केवल 'रामचरितमानस' के प्रारम्भ में मंगलाचरण लिखा है वरन् प्रत्येक सोपान अर्थात् 'सप्तसोपान' का प्रारंभ मंगलाचरण से किया है। मानस' के बालकाण्ड (प्रथम सोपान) में मंगलाचरण के उपरांत 'याज्ञवल्क्य-भरद्वाज संवाद, शिव-सती प्रसंग, शिव-पार्वती विवाह, राम तथा रावण का जन्म, अहल्याउद्धार, राम-सीता विवाह प्रभृति वर्णित हैं। 'पउमचरिउ' के द्वितीय काण्ड अयोध्यकाण्ड में बाईस संधियाँ हैं । इस काण्ड का प्रारंभ विभीषण के प्रश्न से होता है जो वह सागरबुद्धि से दशानन के बारे में पूछता है। इस काण्ड में मुख्यतः दशरथ-कैकेयी विवाह, दशरथ को पुत्रोत्पत्ति, जनक के घर पुत्री सीता तथा पुत्र भामण्डल का जन्म, राम-सीता विवाह, राम-वन-गमन, शम्बूक-वध, चंद्रनखा-प्रसंग, सीताहरण प्रसंग, रावण-सीता-संवाद तथा सीता-विभीषण संवाद प्रभृति हैं । ध्यातव्य है कि 'मानस' के प्रथम सोपान में ही राम-जन्म तथा राम-सीता विवाह का उल्लेख किया गया है जबकि 'पउमचरिउ' में ये दोनों ही प्रसंग द्वितीय काण्ड - अयोध्याकाण्ड में उल्लिखित हैं। 'मानस' के द्वितीय काण्ड - अयोध्याकाण्ड में मुख्यतः राम-वन-गमन, दशरथ-मरण, राम -निषादमिलन, भरत द्वारा राम को मनाने हेत वन जाना. राम-भरत का वन में मिलन, राम-भरत का भावनात्मक वार्तालाप, राम द्वारा भरत को अपनी पादुका प्रदान करना, भरत का अयोध्या वापस लौटना, भरत द्वारा पादुका की स्थापना, भरत का नंदिग्राम में निवास करना, प्रभृति उल्लिखित हैं। ध्यातव्य है कि 'मानस' में राम-वन-गमन के उपरांत दशरथ मृत्युगति को प्राप्त हो जाते हैं जबकि 'पउमचरिउ' में दशरथ राम-वन-गमन के पश्चात् दीक्षा ग्रहण कर लेते हैं। मानस' के द्वितीय काण्ड में राम-भरत मिलन तथा भरत के अयोध्या तक लौटने की कथावस्तु वर्णित की गई है। पउमचरिउ' के द्वितीय काण्ड में सीता-हरण, सीता-रावण संवाद तथा सीता-विभीषण संवाद तक की कथावस्तु वर्णित की गई है। ___ 'पउमचरिउ' के तीसरे काण्ड - सुंदरकाण्ड में राम तथा नकली सुग्रीव के मध्य युद्ध, हनुमान का लंका पहुँचकर सीता को राम की अंगूठी प्रदान करना, सीता द्वारा आत्मतुष्टि हेतु हनुमान की परीक्षा, हनुमान की मंदोदरी से झड़प, हनुमान द्वारा लंका में उत्पात, हनुमान तथा अक्षयकुमार में युद्ध, मेघनाद तथा हनुमान में संघर्ष, हनुमान तथा रावण में वार्तालाप, हनुमान की राम के पास वापसी तथा राम द्वारा युद्ध हेतु प्रस्थान व हंसद्वीप में पड़ाव प्रभृति घटनाएँ वर्णित की गई हैं। 'मानस' के तृतीय सोपान (अरण्यकाण्ड) में जयंत की कुटिलता, अत्रि-मिलन, सीता तथा अनसूया मिलन, राम का दण्डक वन में प्रवेश, राम-जटायु मिलन, पंचवटी निवास, शूर्पनखा प्रसंग, मारीच प्रसंग, सीता-हरण, जटायु-रावण युद्ध, कबंध-उद्धार, शबरी प्रसंग तथा पम्पासर सरोवर की ओर राम का प्रस्थान प्रभृति घटनाओं का उल्लेख मिलता है।
SR No.521858
Book TitleApbhramsa Bharti 1999 11 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka, Gopichand Patni
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1999
Total Pages114
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Apbhramsa Bharti, & India
File Size9 MB
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