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________________ अपभ्रंश भारती - 9-10 45 महापुराण, पुष्पदन्त, भाग 1, संधि 19, पृष्ठ 4। 44. वही, संधि 2, भाग 1, पृष्ठ 52 । 45. वही, भाग 1, संधि, 16, पृष्ठ 370। 46. णायकुमार चरिउ, पुष्पदन्त, डॉ. हीरालाल जैन, भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली, संधि 3, पृष्ठ 501 47. "तुच्छ बुद्धि अप्पउ अवगण्णमि पहिलउ कामए उकि वण्णमि।" महापुराण, पुष्पदन्त, भाग 1, संधि 5, पृष्ठ 107 । 48. महापुराण, भाग 3, संधि 39, पृष्ठ 25। 49. "तहिं पिवइ जयंधर, धरिय धरणि, ते एण विणिज्जिय तरुण तरंणि।" ___ "उप्पणु ताहं णं कुसुमवाण, सुउ सिरिहरु अहितरुवर किसाणु।" ___णायकुमारचरिउ, पुष्पदन्त, संधि 1, पृष्ठ 14 50. णायकुमार, संधि 5, पृष्ठ 72। 51. वही, संधि 5, पृष्ठ 72 । 52. महापुराण, पुष्पदन्त, खण्ड 2, संधि 73, पृष्ठ 2441 53. वही, संधि 78, पृष्ठ 485। 54. "आएउ जणिउ थण्द्धउकेहइ, सावे मयरद्धउ जेहउ। मयरद्ध यहो रुउकि किज्जइ, पयडुव दीसइ उप्पय दिज्जइ।" जसहरचरिउ, पुष्पदन्त, डॉ. हीरालाल जैन, संधि 4, पृष्ठ 144. 55. जसहरचरिउ, संधि 1, पृष्ठ 26. 56. णायकुमार चरिउ, संधि 3, पृष्ठ 42. 57. वही, संधि 1, पृष्ठ 16. 58. 'मयरंद गध मीणाहरणु। हसहं वि खीर जल पिहुकरणु ।' महापुराण, पुष्पदन्त, खण्ड 2, परशुराम वैद्य, संधि 69, पृष्ठ 383. 59. "ओयरिय सरोवरि हंसपतिचल धवल णाई सप्पुरिस कित्ति।" महापुराण, पुष्पदन्त, संधि 1, पृष्ठ 16।
SR No.521857
Book TitleApbhramsa Bharti 1997 09 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka, Gopichand Patni
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1997
Total Pages142
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Apbhramsa Bharti, & India
File Size10 MB
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