________________
अपभ्रंश भारती - 9-10
37
अक्टूबर - 1997, अक्टूबर - 1998
पुष्पदन्त के काव्य में प्रयुक्त 'कवि समय'
- विद्यावारिधि डॉ. महेन्द्रसागर प्रचंडिया
हिन्दी का पूर्व और अपूर्व रूप है अपभ्रंश । अपभ्रंश का अपना स्वतंत्र और मौलिक साहित्य है। महाकवि पुष्पदन्त अपभ्रंश के प्रतिभा सम्पन्न महाकवि थे।
पुष्पदन्त जन्मतः ब्राह्मण-पुत्र थे। इनके पिता और माता के नाम क्रमश: पं. केशवभट्ट तथा श्रीमती मुग्धा देवी था। गोत्र था कश्यप। आप कृश काय श्यामवर्णी थे। आप स्वभाव से सहृदय
थे।
कवि की आरम्भिक काव्याभिव्यक्ति श्रृंगाररस प्रधान थी। इसी से आपका कवि नाम सार्थक सिद्ध हुआ। कथा मकरंद आपका दूसरा काव्य था जिसमें भैरवानन्द की यशोगाथा शब्दायित है। कविर्मनीषी पुष्पदन्त को सफलकाव्य प्रणेता सिद्ध करनेवाली आपके द्वारा प्रणीत महापुराण' णायकुमार चरिउ तथा जसहर चरिउ' नामक उल्लेखनीय काव्य कृतियाँ हैं।
कवि के व्यक्तित्व और कृतित्व तथा उनके काव्यों का हिन्दी अनुवाद तथा अध्ययनअनुशीलन अनेक विद्वानों द्वारा अवश्य किया गया है। अनेक विश्वविद्यालयों में महाकवि पुष्पदन्त पर विविध दृष्टिकोण से गवेषणात्मक अध्ययन भी किये गये हैं परन्तु 'कविसमय' जैसे काव्यशास्त्रीय अंग पर स्वतंत्र रूप से अभी तक कहीं कुछ नहीं लिखा गया है । इसी अभाव को दखते हुए यह विवेच्य काव्य में व्यवहृत 'कविसमय' विषयक गवेषणात्मक संक्षिप्त अध्ययन करना हमारा मूलाभिप्रेत रहा है।