SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 46
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अपभ्रंश भारती - 9-10 दुम्महिल जि वइ वस-महिस-झड दुम्महिल जि गरुय वाहि णरहीँ दुम्महिल जि वग्घि मज्झें घरहीँ - ॥ ( 15.13) सु-पसिद्ध सिद्धउ लद्ध-संसु णावर दुपुत्ते णियय- वंसु विद्याधर काण्ड में रावण एक प्रमुख चरित्र बन गया है जिस पर कवि की अच्छी दृष्टि है, किन्तु जहाँ तक उसके कर्म साथ हैं। कैलाश पर्वत उखाड़ने पर कवि की उक्ति हैसुप्रसिद्ध प्रशंसा प्राप्त और अपना सिद्ध कुटुम्ब ही उखाड़ डाला है मानो खोटे पुत्र ने 31 इतना ही नहीं महाबलि बालि की शक्ति के आगे रावण की एक नहीं चलती है और वह भी कवि की हास्यपूर्ण व्यंग्यात्मक शैली पाठक को चमत्कृत कर देती है । कवि कहता है कि रावण का विमान बालि महाऋषि के ऊपर से वैसे ही नहीं जा पा रहा था जैसे नव विवाहिता पत्नी अपने सयाने कामुक पति के पास नहीं जाती विहडइ थरहरइ ण ढुक्कइ उप्परि बालि-भडाराहीँ छुडु - छुडु परिणियउ कलत्तु व रइ-दइयहाँ वड्डाराहाँ । ( 13.1.10) फिर भी पउम चरिउ का रावण-निर्मित चरित है और फिर, किसी भी कवि के पास अपनी निज की दृष्टि होती है जिसके अनुसार वह सामयिक परिवेश में पात्रों की सांस्कृतिक लोकपीठिका तैयार करता है तथा शब्द के जरिये समय को व्यक्त करता है, लोक को व्यक्त करता है । उदाहरण के तौर पर पउम चरिउ के विद्याधर काण्ड में ही कई लोक-सूक्तियों को देखा जा सकता है जो समय-सिद्ध हैं (1) वुच्चइ सह सक्खें किं के सरि सिसु - करि वहइ । पच्चेल्लिउ हुअवहु सुक्कउ पायउ सुहु डहइ ॥ क्या सिंह छोटे से गज शिशु पर आक्रमण करता है? क्या समर्थ आग सूखे पेड़ को जलाती है? (2) दुर्जन के मुख से कोई बचता नहीं; अर्थात् वह किसी को भी कुछ कह सकता है- जिह दुज्जण-वयणहुँ को वि ण पासु समिल्लियइ ॥ (3) कुपुत्र की उन्नति से कुल मैला हो जाता है । ( 17.1.10) (4) कामदेव शक्तिशाली है खोटे मुनि वश में नहीं कर सकते। (17.4.10) (5) जिसके विरह में कामदेव मर रहा हो उसके रूप का वर्णन कौन करेगा। (18.6.8) (6) केवल पलायन से लज्जित होना चाहिए क्योंकि उससे मुहँ नाम और गोत्र को कलङ्क लगता है। (20.11.5 )
SR No.521857
Book TitleApbhramsa Bharti 1997 09 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka, Gopichand Patni
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1997
Total Pages142
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Apbhramsa Bharti, & India
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy