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अपभ्रंश भारती -8
कारण है जिससे जिन्दगी और मौत की कराहती वेदनापूर्ण स्थिति बनती है। अनैतिक सम्बन्ध से प्राप्त गर्भ रोकने के लिए गर्भनिरोधक दवाओं का प्रयोग भी महिलाओं में व्यसन बन गया है जो हानिकारक है। गर्भ-निरोधक गोलियों में पाये जानेवाले स्ट्रोजन और पोजेस्ट्रोजन पदार्थ से वजन का बढ़ना, स्तन-दर्द, स्तन-कैंसर, गंजापन, सिरदर्द, मसूढ़ों में दर्द/सूजन, योनि से स्राव और रक्तवाहिनियों में अवरोध पैदा होता है। चोरी की आदत चोर को भय, चिन्ता एवं तनावग्रस्त कर देती है जिससे व्यक्ति शारीरिक दृष्टि से कमजोर हो जाता है। शिकार खेलने' का व्यसन भी श्रमसाध्य और क्लेश पैदा करनेवाला है। इससे क्रूर परिणाम होते हैं जिससे रक्त में रासायनिक परिवर्तन होते हैं शरीर में क्षार की मात्रा की कमी और अम्ल की मात्रा में वृद्धि होती है; परिणामस्वरूप अम्लजन्य रोगों का जन्म होता है। इस प्रकार सभी व्यसन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।
व्यसनों से जुड़ा व्यक्ति तनावयुक्त होता है। तनाव से भयग्रस्त और चिन्ताग्रस्त हो जाता है। ऐसा व्यक्ति समाज में मान-सम्मान की आकांक्षा करता है और वह प्रतिष्ठा-हानि से भयभीत रहता है। प्रतिकूल परिस्थितियाँ मनस्ताप व विक्षिप्तता की जन्मदायक है। चरम आकांक्षा, अवांछित परिस्थितियाँ, हानि, असम्मान ही मनस्ताप को उत्पन्नकर व्यक्ति को विक्षिप्तता तक पहुँचा देते हैं। यह व्यक्ति को शारीरिकरूप से तो जर्जर बना ही देते हैं, निराशा पैदाकर व्यक्ति को आत्महत्या की ओर भी ले जाते हैं और उसका दर्दनाक अन्त हो जाता है। __ व्यसनों के कारण मानव की वृत्तियाँ तामसिक हो जाती हैं। तामसिक वृत्ति के फलस्वरूप वह भोग-विलासिता की ओर अग्रसर होता है। मान की भावना में वृद्धि होती है और स्वयं को श्रेष्ठ सिद्ध करने के लिए नित्य नये फैशन को अपनाता जाता है। विलासिता की प्रवृत्ति उसके स्वयं के तथा परिवार, समाज एवं राष्ट्र के विकास में अवरोधक है।
किसी भी परिवार, समाज और राष्ट्र की संतुलित अर्थ-व्यवस्था उसकी रीढ़/आधार' होती है। व्यसनों के कारण अर्थव्यवस्था पर प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से आघात पहुँचता है। जुआ-लाटरी आदि में जीतने पर प्राप्त आय से अनावश्यक खर्च और विलासिता की प्रवृत्ति बढ़ती है। यदि जुआ आदि में हारने पर आय के स्रोत बन्द हो जाते हैं तो खर्च में कटौती करनी पड़ती है जो पारिवारिक कलह का कारण बनता है और परिवार के लिए कष्टदायी भी। मादक द्रव्यों का सेवन अत्यन्त मँहगा होता है, बारम्बार प्रयोग से अर्थव्यवस्था लचर-पचर हो जाती है। आय के स्रोत सीमित हो या असीमित. मद्यपान व्यक्ति को निर्धनता. अभावों और कलहपर्ण जीवन जीने के लिए मजबूर कर देता है। मांसाहार रोगों का जनक एवं मँहगा आहार है। आज भारत सरकार अधिकतम विदेशी मुद्रा-अर्जन हेतु देश में कत्लखानों की संख्या बढ़ा रही है पर इससे आय कम और पशुवध की हानि अधिक हो रही है। उदाहरणार्थ - पाँच करोड़ रुपये की आय प्राप्त करने के लिए नौ लाख बारह हजार भैंसें और अट्ठाईस लाख पच्चीस हजार भेड़ों का वध करना पड़ता है इससे पाँच सौ करोड़ की हानि होती है। परस्त्री/अवैध सम्बन्ध और वेश्यावृत्ति/ देह व्यापार का भी सीधा सम्बन्ध है अर्थ-व्यवस्था से। चोरी, तस्करी राष्ट्र का आर्थिक अपराध