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अपभ्रंश भारती - 8
इस प्रकार अपभ्रंश साहित्य का समाजशास्त्र बहुआयामी है। इसके अध्ययन से नये तथ्यों का उद्घाटन तो होगा ही साहित्य तथा संस्कृति की कई परतें खुलती हैं । गहराई में पैठकर देखने पर आँख खोल देनेवाली छवियाँ दिखाई पड़ेंगी।
1. भाषा और संवेदना, डॉ. रामस्वरूप चतुर्वेदी, पृ. 1। 2. हिन्दी काव्यधारा, पं. राहुल सांकृत्यायन, पृ. 5। 3. हिन्दी साहित्य की भूमिका, पं. हजारीप्रसाद द्विवेदी, पृ. 16, 18। 4. हिन्दी काव्यधारा, पृ. 26। 5. हिन्दी साहित्य का आदिकाल, पृ. 11। 6. वही। 7. हिन्दी साहित्य का इतिहास, सातवां संस्करण, पृ. 3। 8. हिन्दी साहित्य का आदिकाल, पृ. 11। 9. विचार-प्रवाह, पृ. 142। 10. सिद्धहेम प्राकृत व्याकरण, आचार्य हेमचन्द्र 4.358। 11. वही, 4.399। 12. हिन्दी काव्यधारा, पं. राहुल सांकृत्यायन, पृ. 268। 13. हिन्दी काव्यधारा, पृ. 110।
अध्यक्ष हिन्दी विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी