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________________ अपभ्रंश भारती 7 49 करके उसे चंपापुरी ले आये। तत्युगीन सामंती मनोवृत्ति का यह यथार्थ रूप है। कुछ दिनों बाद वह गर्भवती हुई और उसकी इच्छा हुई कि मन्द-मन्द बरसात में, पति के साथ पुरुष-रूप में, हाथी पर सवार होकर नगर-भ्रमण करूँ। ऐसा हुआ भी। परंतु, दुष्ट हाथी राजा-रानी को लेकर जंगल की ओर भाग निकला। रानी ने इस स्थिति में राजा को किसी पेड़ की डाल पकड़कर प्राण-रक्षा के लिए तैयार कर लिया और स्वयं उस पर बैठी रही। हाथी जंगल में पहुँचकर एक जलाशय में प्रविष्ट हुआ कि रानी ने जल में तैरकर किनारा पकड़ लिया और उस वन में प्रवेश किया। रानी के चरण पड़ते ही वह सूखा हुआ वन हरा-भरा हो गया। यह देखकर वनमाली बड़ा प्रसन्न हुआ तथा रानी को बहन मानकर घर ले आया। किन्तु, उसके रूप-सौन्दर्य के कारण माली की पत्नी उसे सहन नहीं कर सकी और उसे बाहर निकाल दिया। रानी भटकती हुई श्मशान में आई, जहाँ उसने एक पुत्र को जन्म दिया। ___पुत्र-जन्म की प्रसन्नता में रानी अपने दुःख को भुलाने लगती है कि एक चांडाल सामने दीख पड़ता है तथा हठात् बालक को उठा लेता है। रानी के विरोध करने तथा दुःखी होने पर वह कहता है कि यथार्थ में मैं एक विद्याधर था और मुनि के शाप से मातंग हो गया। इस शाप का प्रतिकार भी मुनि ने यह कहकर किया कि दंतिपुर के श्मशान में करकंड का जन्म होगा। उसका पालन-पोषण करने तथा बड़ा होने पर जब उसे वहाँ का राज्य मिल जायेगा, तो वह मातंग पुनः विद्याधर हो जायेगा। रानी इससे संतुष्ट हो गई। मातंग ने बालक को पाला और पढ़ायालिखाया। उसके हाथ में कंडु (सूखी खुजली) होने से वह करकंड कहकर पुकारा जाने लगा। उन्हीं दिनों दंतिपुर के राजा का स्वर्गवास हो जाता है। उसके कोई पुत्र न होने से मंत्रीगण यह व्यवस्था करते हैं कि हाथी की सैंड में एक घड़ा जल भरकर दिया जाय। वह जिसका अभिषेक करे वही राजा हो। इसमें करकंड का भाग्योदय हुआ; किन्तु मातंग-पुत्र होने से उसका विरोध भी। तभी मातंग को अपनी विद्याधर-ऋद्धि प्राप्त हो जाती है और वह सबका समाधान करके करकंड को राजा बनवा देता है। अब करकंड का विवाह गिरिनगर की राजकुमारी मदनावली से हो जाता है। उन्हीं दिनों चम्पा-नरेश का दूत आकर आधिपत्य स्वीकार करने को कहता है। ऐसा न होने पर दोनों में युद्ध होता है। तभी पद्मावती आकर पिता-पुत्र का परिचय कराती है। धाड़ीवाहन प्रसन्न होकर, चंपापुरी का राज्य करकंड को सौंपकर, वैराग्य धारण करते हैं। __इसके बाद करकंड द्रविड़ देश के चोल, चेर तथा पांड्य नरेशों पर चढ़ाई करता है। मार्ग में तेरापुर नगर के राजा शिव ने वहाँ की गुफाओं का परिचय दिया और बतलाया कि एक हाथी नित्यप्रति झुंड में जल तथा कमल लेकर यहाँ भगवान् पार्श्वनाथ पर चढ़ाने आता है। एक विद्याधर आकर यहाँ के महत्त्व को बतलाता है। दो अन्य विद्याधरों की कथा से प्रभावित होकर करकंड वहाँ दो गुफाएँ बनवाता है। उसी समय एक विद्याधर हाथी का रूप धारणकर मदनावली को हर ले जाता है । शोकाकुल होने पर पूर्वजन्म के साथी एक विद्याधर के समझाने तथा पुनः संयोग के आश्वासन पर वह शांत होता है।
SR No.521855
Book TitleApbhramsa Bharti 1995 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka, Gopichand Patni
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1995
Total Pages110
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Apbhramsa Bharti, & India
File Size8 MB
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