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अपभ्रंश-भारती-3-4
16. चर्या. 1.2। 17. चर्या. 4.5। 18. चर्या. 6, 8, 26 तथा 311 19. चर्या. 341 20. सिद्धसाहित्य, धर्मवीर भारती, पृष्ठ 449-457। 21. स्टडीज इन द तंत्राज, डॉ. बागची, पृष्ठ 741 22. प्राकृत और अपभ्रंश साहित्य, रामसिंह तोमर, पृष्ठ 182-183। 23. पूर्वी रूपों के कारण उत्साहपूर्वक चर्यापदों को मैथिली, बंगाली, उड़िया, भोजपुरी विद्वान
अपनी-अपनी भाषाओं का पूर्वरूप बताते हैं। 24. ओरिजन एण्ड डेवलेपमेंट ऑफ बंगाली लैंग्वेज, सुनीतिकुमार चटर्जी, पृष्ठ 111-1121 25. अपभ्रंश साहित्य, हरिवंश कोछड़, पृष्ठ 307। 26. हिन्दी साहित्य का इतिहास, रामचन्द्र शुक्ल, पृष्ठ 24। 27. काव्यधारा, राहुल, पृष्ठ 47।
हिन्दी विभाग दयालबाग विश्वविद्यालय दयालबाग आगरा (उ.प्र.)