SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 44
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अपभ्रंश-भारती-3-4 35 भवणिब्बाणे पडइ माँदला। मण-पवण-वेण्णि करउँ कसाला॥ जअजअ दुन्दुहि सद्द उछलिला। काण्हे डोम्बि-विवाहे चलिला॥ डोम्बि विवाहिअ अहारिउ जाम। जउतुके किअ आणूतू धाम॥ अहणिसि सुरअ-पसंगे जा। जोइणि जाले रअणि पोहा॥ डोम्बिएँ संगे जोई रत्तो। खणहैं ण छाडअ सहज-उमत्तो। ऐसे सांकेतिक रूपकों की योजना में जहाँ एक ओर रागात्मक संवेदन जमाकर सहजानन्द का आभास है वहाँ दूसरी ओर निजी रहस्यात्मक अनुभूतियों को विशिष्ट मर्मज्ञ साधकों के प्रति ही उन्मीलन करने की प्रेरणा भी निहित है। यह परम्परा प्रायः सभी गुह्य तान्त्रिक साधनाओं तथा ऐकान्तिक माधुर्यभाव की उपासनाओं में प्रचलित रही है। समग्रतः अपभ्रंश काव्यधारा में प्रवाहित रहस्यवाद अनेक आध्यात्मिक भावभूमियों पर जैन मुनियों, बौद्ध सिद्धों तथा शैव-शाक्त तान्त्रिक साधकों की शान्त रसात्मक संबोधि सहज समाधि, नैरात्म्य, सामरस्य एवं महासुख अथवा सहजानन्द की वैविध्यमयी एवं वैचित्र्यमयी अभिव्यक्ति-भंगिमाओं से समृद्ध है। प्राचीन वैदिक तथा व्रात्य वाङ्मय में उद्भूत परम सत्य के परोक्ष एवं अव्यक्त स्वरूप के अनुसंधान और साक्षात्कार की चेष्टा ही कालान्तर में अपभ्रंश कवियों की अटपटी वाणियों में मुखर हुई है। अपनी विशिष्ट संसिद्धियों एवं संश्लिष्ट अभिव्यंजनाओं से अनुरञ्जित मौलिक उद्भावनाओं के कारण अपभ्रंश काव्य की रहस्यवादी धारा भारतीय वाङ्मय की अनूठी निधि है। 1. पाहुड दोहा सं. 43 13. सरहपादीय दोहा सं.7 2. पाहुड दोहा सं. 180 14. सरहपादीय दोहा सं. 8 3. पाहुड दोहा सं. 100 15. दोहाकोष सं. 25 4-5. परमात्मप्रकाश, 2.122/123 16. दोहाकोष सं. 27 17. दोहाकोष सं. 94 6. परमात्मप्रकाश, 2.323 18. चर्यापद सं.8 7. परमात्मप्रकाश, 2. 22 19. चर्यापद सं. 28 8. योगसार 2. 105 20. चर्यागीति सं.4 १. आणन्दा, छ. 13 21. दोहाकोष-10 10. आणन्दा, छं. 18 22. दोहाकोष-11 11. आणन्दा, छं. 22 23. दोहाकोष-12 12. दोहाकोष 2 24. दोहाकोष-19 प्रोफेसर हिन्दी विभाग, विश्वभारती, शान्तिनिकेतन
SR No.521853
Book TitleApbhramsa Bharti 1993 03 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka, Chhotelal Sharma
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1993
Total Pages90
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Apbhramsa Bharti, & India
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy