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________________ 34 अपभ्रंश-भारती-3 रूपी हरिण के प्रति नैरात्मा-रूपी हरिणी का कथन है कि तुम इस वन-काय से दूर अन्यत्र भ्रमा करो - हरिणी बोलइ सुण हरिणा तों, ए वन छाडि होहु भान्तो।" शबरपा की रहस्यवादी उक्तियों में ऊर्ध्व सहजानन्द के पर्वत पर उन्मत्त 'शबर' (साधक तथा 'सहज सुन्दरी' (नैरात्मा) का रम्य रूपक द्रष्टव्य है - ऊचा ऊचा पावत तहिं बसइ सबरी बाली। मोरंगि पिच्छ परिहिण शबरी गीवत [जरि-माली॥ उमत शबरो पागल शबरो मा कर गुली-गुहाडा। तोहोरि णिअ घरिणी नामे सहज-सुन्दरी॥" गुंडरीपा के रहस्यवादी उद्गारों में योगिनी के प्रति उद्दाम सुरत क्रीड़ा के प्रतीक द्वारा सहर महासुख की मादक अभिव्यंजना हुई है - तिअड्डा चाँपि जोइनि दे अँकवाली। कमल-कुलिश घोंटी करहु विआली। जोइनि तई विनु खनहि न जीवमि। तो मुह चुम्बि कमल-रस पीवमि॥2० कण्हपा के रहस्य-गीतों में सहज मार्ग की सैद्धान्तिक पृष्ठभूमि तथा 'महासुख' के रसात्मक अनुभूति का गहराई के साथ निरूपण हुआ है। सहज समाधि की निस्तरण समरस स्थिति का वर्णन करते हुए वे उसे शून्याशून्य विलक्षण बताते हैं - णित्तरंग-सम सहज-रूअ सअल-कलुस-विरहिए। पाप-पुण्य-रहिए कुच्छ णाहि काण्ह फुट कहिए।" वहिणिक्कालिया सुण्णासुण्ण पइट्ठ। सुण्णासुण्ण-वेणि मज्झे रे वढ़! किम्पि ण दिट्ठ सहज एक्कु पर अस्थि तहि फुड काण्ड परिजाणइ। सत्थागम दहु पढइ सुणइ वढ़! किम्पि ण जाणइ॥" इस सहज सामरस्य की स्थिति का बोध मात्र शास्त्रों और आगमों के पठन-श्रवण द्वार सम्भव नहीं। अवधूती डोमिनी (नैरात्मा) के संग विवाह के सांगरूपक के द्वारा कण्हपा ने जिस अनिर्वचनीय महासुख का अनूठा चित्रण किया है उससे उनके रहस्यवाद के माधुर्य की मार्मिक अभिव्यक्ति हुई है। इस सूक्ष्म भावजगत के विवाहोत्सव में मन-पवन वाद्य-यन्त्र हो जाते हैं डोमिन वधू के रूप में स्वीकृत होती है, दहेज में अनुत्तर धाम की प्राप्ति होती है और अहर्निश उसी के सहवास से वह महासुख में निरन्तर लीन रहता है। सामान्य लोकजीवन के क्षेत्र से गृहीत ऐसे सांगरूपकों के माध्यम से सिद्ध कवियों का अपभ्रंश काव्य अपनी रहस्योन्मुख अभिव्यक्तियों में भी जनमानस के निकट सहज संप्रेषणीय हो उठा है -
SR No.521853
Book TitleApbhramsa Bharti 1993 03 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka, Chhotelal Sharma
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1993
Total Pages90
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Apbhramsa Bharti, & India
File Size7 MB
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