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________________ अपभ्रंश भारती-2 9. मधुभार प्रत्येक चरण की मात्रा 8 । अन्त लघु लघु से होता है । जैसे भिउडिभयंकर .1 ता णिटुरकर वइरिखयंकर णियवइसंकर 1 झसमुग्गरकर पर जयसिरिहर इयर वि अंतरे दुव्वयणुब्भड जयसिरिहार जायउ भंडणु उयरवियारण असिखणखणरव मयलपेल्ल रहवर खचणु पाधियव छुरियाढण णिरु णिब्भिच्चिहि कड्ढय सुंदरि सद एत्तर्हि भल्लउ कण्णालुद्धउ लहु सण्णद्धउ पयचोइयगउ धाइयणरवर 1 मयणो किंकर । थिय एत्यंतरे । महाभड । 1 सुहड कण्णाकारणे करसिर खंडणु पहरणवारणु हणरव रउरव लोहियरेल्ल केसाच सूड हयथडु — मच्छरघणघणु 1 जुज्झिवि भिच्चिहिं । 1 सुरवरसरि कुलणहचदहिँ 1 दुव्वयणुल्लउ 1 जमु जिह कुद्धउ । पविलबियधउ I झत्ति समागउ 10. दीपक प्रत्येक चरण में 10 मात्रा । अन्तिम 1 लघु । जैसे गाम भुअणं गतीहिं सण्णद्ध कुद्धाइँ उवबद्धता करिचडियजोहा छत्तधयाराइँ वाहियतुरंगाईं — 142 णं पलयमाहिं । गहिरं रसतीहि । उद्धद्धचिंधाइँ 1 गुणबिणा । चलचामरोहा 1 पसरियवियाराईं 1 चोsयमयगाइँ 1 89
SR No.521852
Book TitleApbhramsa Bharti 1992 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka, Chhotelal Sharma
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1992
Total Pages156
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Apbhramsa Bharti, & India
File Size11 MB
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