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________________ अपभ्रंश-भारती-2 चलधूलिकविलाई कप्पूरधवलाई मयणाहिकसणाई कयणइरिवसणाई । भडदुण्णिवाराई रहदिण्णधाराई । रोसावउण्णाई चलियाई सेण्णाई। तिहुयणरइसस्स लुयवइरिसी सस्स । कुलगयण चंदस्स अंतरणरिदस्स । दुग्गावहारेण जणपायभारेण । धरणी वि संचलइ मंदरु वि टलटलइ । जलणिहि वि मलझलइ विसहरु वि चलचलइ । जिगिजिगिय खग्गाई णिहलियमग्गाई । समरेक्कचित्ताई गिरिणयरु पत्ताई । सुकयाइँ फलियाई मित्ताई मिलियाई । अखिम्भरायस्स इच्छियसहायस्स । 11. करिमकरभुजा द्विपदी इसके चरण में 8 मात्रा और अन्त लघु-गुरु से होता है । जैसे - परभीमयरु विज्जाणियरु । जाएं रिसिणा णिज्जिय अरिणा । मणि कप्पियउ महु अप्पियउ । आसावसणा पयडियदसणा । दीहरणहरा पिंगलचिहुरा । बहुजंपणिया बहुलोयणिया । कंकालिणिया कावालिणिया । सयसूलिणिया लबिरथणिया । भीसावणिया संतावणिया । विद्दावणिया सम्मोहणिया । उम्मोहणिया संखोहणिया । अक्खोहणिया उत्तारणिया । आरोहणिया संबोहणिया । रिउमारणिया णिद्दारणिया । महिदारणिया णहचारणिया । जलतारणिया सरवारणिया । असिथंभणिया रहरुभणिया ।
SR No.521852
Book TitleApbhramsa Bharti 1992 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka, Chhotelal Sharma
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1992
Total Pages156
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Apbhramsa Bharti, & India
File Size11 MB
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