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अपभ्रंश-भारती
युद्ध में अजेय कितने ही योद्धा तैयार होने लगे । कितने ही योद्धाओं के ध्वजों , भामण्डल, आदित्य और चन्द्रमा के चिह्न अकित थे । कितनों के ध्वजों पर श्री और शंखों से ढके हुए कलश अकित थे । कितने ही ध्वजों पर हंस, कलहंस और क्रांच
पक्षी अकित थे। (2) के वि अलियल्ल - मायङ्ग - सीहद्धया,
के वि खर-तुरय-विसमेस-महिस-दया । के वि सस सरह-सारङ्ग-रिञ्छ-दया, के वि अहि-णराल-मग-मोर गरुडदया ॥
- वही - कितने ही ध्वजाओं पर मातंग और सिंह अकित थे । कितनी ही पताकाओं पर खर,
तुरग, विषमेष और महिष अकित थे । किन्हीं ध्वजों पर शश, शरभ, सारंग और रीछ अकित थे । किन्हीं ध्वजों पर सांप, नकुल, मृग, मोर और गरुड़ अकित थे । के वि सिव-साण-गोमाउ-पमय-डया, के वि घण-विज्जु-तरु-कमल-कुलिसद्धया । के वि संसअर-करि-मयर-मच्छ-द्धया, के वि णकोहर-ग्गाह-कुम्भद्धया ॥
- वही - किन्हीं ध्वजों पर शिव, शाण शृगाल और बन्दर अकित ये । किन्हीं ध्वजों पर सुंसुकर,
हाथी, मगर और मछली अकित थे । किन्हीं पताकाओं में नक्र, ग्राह और कच्छप अंकित
थे
।
(4) णील-णल-णहुस-रइमन्द-हत्थुब्भवा,
जम्बु-जम्बुक-अम्भोहि-जव-जम्ववा । पत्थ उप्पित्थ-पत्यार-दप्पुद्धरा, पिहुल-पिहुकाय-भूभङ्ग-उब्भङ्गुरा ॥
- वही नील, नल, नहुष, रतिमंद, हस्तिउद्भव, जम्बु, जम्बूक्क, अम्बोधि, जव, जम्बव, पत्थक,
पित्य, प्रस्तार, दर्पोद्धर, पृथुल, पृथुकाय, भूभंग और उद्भगुर । (5) रम्म महा ज च पुण्णाय - णाएहि,
कुसुमिय - लया - वेल्लि - पल्लव - णिहाएहिँ । कप्पूर - कंकोल - एला - लवङ्गेहि, महुमाहवी - माहुलिङ्गी - विडङ्गे हि ॥
- प. च. 3.1 जो महान उद्यान, खिली हुई लताओं, पल्लवों और बेलों के समूह से युक्त था । पुन्नाग,
नाग-वृक्षों तथा कर्पूर, कंकोल, एला, लवंग, मधुमाधवी, मातुलिंगी, विडंग ।। (6) भुव - देवदारुहिं रिद्धेहिं चारेहि,
कोसम्भ - सज्जेहिं कोरण्ट - कोजेहिं । अच्चइय जूहीहिँ जासवण - मल्लीहिँ केयइऎ जाएहिँ अवरहि मि जाईहिँ ॥
- प. च., 3.1 - भूर्ज, देवदारु, रिटु, चार, कौशम्ब, सद्य, कोरण्ट, कोंज, अच्चइय, जूही, जासवण, मल्ली,
केतकी और जातकी वृक्षों से रमणीय था ।