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122
7.
8.
9.
10.
11.
12.
13.
कीर्तिलता
99
19
31
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39
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निरूपित हिन्दी अर्थ ।
14. रघुवंश प्रथम सर्ग 15. कीर्तिलता
प्रथम पल्लव
16. कीर्तिलता द्वितीय पल्लव 17. कीर्तिलता द्वितीय पल्लव 18. कीर्तिलता द्वितीय पल्लव
19. कीर्तिलता द्वितीय पल्लव
20. श्रीमद् भगवद् गीता द्वितीय अध्याय - 3 ।
29
प्रथम पल्लव
29
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5, 6, 7, 91
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21. रघुवंश 14-41 I
22. 'स मृन्मये बीतहिरण्मयत्वान् पात्रे निधायार्घ्यमनर्घशील ।' रघुवंश 5-2 ।
23. सुभाषितरत्नभाण्डागार
24. सुभाषितरत्नभाण्डागार
25. कीर्तिलता द्वितीय पल्लव 26. वाल्मीकिरामायण बालकाण्ड 27. कीर्तिलता चतुर्थ पल्लव 28. कीर्तिलता 29. कीर्तिलता 30. कीर्तिलता
चतुर्थ पल्लव
चतुर्थ पल्लव
चतुर्थ पल्लव
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35, 36 I
15, 16 I
37 I
38 I
41, कित्ति लुद्धउ सूर संगाम ।
65 से 68 तक ।
65 से 68 तक वासुदेवशरण अग्रवाल के द्वारा
103, 105 1
16, 17, 201
21, 22 I
33 से 36 तक ।
41, 43 से 47 तक ।
अष्टम संस्करण 1952, पृ. 230 1
अष्टम संस्करण 1952, निर्णय सागर प्रेस, मुंबई-2, पृ. 2291 65, 66, 69 से 73 तक ।
चतुर्थ सर्ग ।
अपभ्रंश भारती-2
15, 19, 20, 22 I
28 से 33 तक ।
34, 35, 36, 37, 53 I 249, 250 I