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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ११८ ] શ્રી. જૈન સત્ય પ્રકાશ शशिकेर शेर भूसंख्ये (१५२१) वर्षे हर्षेण संयुतावेतौ । लेखितवती कांचन कल्पं सत्कल्पतरुकल्पं ॥ २७ ॥ कलापकम् ॥ पांडित्योत्तमरत्नमूर्तिगुरुतो निर्दोषविद्या जुषां चातुर्याकर मेरु सुंदर मुनींद्राणां मनोऽभीष्टदः । सौवर्णाक्षरकल्प पुस्तकमिदं निर्देभभक्तेर्भरादेताभ्यां विधिना विहारितमविश्रांतं बुधैर्वाच्यतम् ॥ २८ ॥ इति प्रशस्तिकल्पपुस्तिका ॥ छ ॥ छ ॥ ( पत्र - ३, अभय जैन ग्रंथालयश्री शंकरदान नाहटा कलाभवन, बीकानेर. ) नोधः - इन दोनों नामों पर पीछेसे किसीने अन्य नाम लिखनेका प्रयत्न किया है, पर सफल नहीं हुआ है । जयत् हंस प्रशस्ति अनुसार पर्वत और आंबाका वंशवृक्ष - श्रीमाल बहकटागोत्रीय थकण, इनके पुत्र मुम्मण, उनके पुत्र जिनदेव, उनके पुत्र कर्मा, उनके पुत्र खेता खेता जगमाल गोमती पत्नी ) नरसिंह (पांची पत्नी) 1 सीमा दूल्हा पर्वत कर्पूरी पत्नी, लक्ष्मी पत्नी सहस्रमल वरसिंह www.kobatirth.org उदयकरण लाखा मल्ल Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जगचंद्र ( लीलादेवी पत्नी ) जवण ( जीवणी पत्नी ) For Private And Personal Use Only आंबा ( कुंअरी पत्नी ) जयमल [ वर्ष : २० बाहड करण शिवा सोमा मांडण रणवीर
SR No.521719
Book TitleJain_Satyaprakash 1955 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
PublisherJaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
Publication Year1955
Total Pages28
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Satyaprakash, & India
File Size12 MB
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