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શ્રી. જૈન સત્ય પ્રકાશ शशिकेर शेर भूसंख्ये (१५२१) वर्षे हर्षेण संयुतावेतौ । लेखितवती कांचन कल्पं सत्कल्पतरुकल्पं ॥ २७ ॥ कलापकम् ॥ पांडित्योत्तमरत्नमूर्तिगुरुतो निर्दोषविद्या जुषां
चातुर्याकर मेरु सुंदर मुनींद्राणां मनोऽभीष्टदः ।
सौवर्णाक्षरकल्प पुस्तकमिदं निर्देभभक्तेर्भरादेताभ्यां विधिना विहारितमविश्रांतं बुधैर्वाच्यतम् ॥ २८ ॥ इति प्रशस्तिकल्पपुस्तिका ॥ छ ॥ छ ॥ ( पत्र - ३, अभय जैन ग्रंथालयश्री शंकरदान नाहटा कलाभवन, बीकानेर. )
नोधः - इन दोनों नामों पर पीछेसे किसीने अन्य नाम लिखनेका प्रयत्न किया है, पर सफल नहीं हुआ है ।
जयत्
हंस
प्रशस्ति अनुसार
पर्वत और आंबाका वंशवृक्ष -
श्रीमाल बहकटागोत्रीय थकण, इनके पुत्र मुम्मण, उनके पुत्र जिनदेव, उनके पुत्र कर्मा, उनके पुत्र खेता
खेता
जगमाल
गोमती पत्नी )
नरसिंह (पांची पत्नी)
1 सीमा
दूल्हा
पर्वत कर्पूरी पत्नी, लक्ष्मी पत्नी
सहस्रमल
वरसिंह
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उदयकरण
लाखा
मल्ल
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जगचंद्र
( लीलादेवी पत्नी )
जवण
( जीवणी पत्नी )
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आंबा
( कुंअरी पत्नी )
जयमल
[ वर्ष : २०
बाहड
करण
शिवा सोमा मांडण रणवीर