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શ્રી. જૈન સત્ય પ્રકાશ
गुरकी साहिज पाप आलोह, भवके दोष सबही पाइ, देवल दीपतो तीन भूम्, धजा फरअ दह दिस मुम दीपत देहरा हे च्यार, झूलण गोष सोभअ सार, आगे चोक अतिही विसाल, गावे गीत गुण ही सार. झंमर झालरी झणणैक, भरहर भैर भी भक दोदों करत मद्दताल, कुहकत वज हे करनाल घूघर करत रमझकार, नेउर करत णणणकार भदौ कतकी मेला, चेनी पूनम तीन बेलक मेरु समेतका आकार, सहसकूट अठावय सार टाका दोय भी दीसेक, रायण देव दिल ही सैक सासनदेव हे थान, गणधर पादुके परमान् वैदा वेचत वोसोतराय, गंधारी चैत्य भी दिल लगाय पंचाभाई देहरा पहिचान, वबावत देह सवडवान् खरतरपति दादादेव देहरी दोय कर ले सेव जिनदत्त श्रीजिनकुशलसूर, समरत होत सुष सनुर, केसर चंदन मेल कपूर, पूजा करत जगत सुर. जाई जिनबिम्ब तांको वंद, दरसन कीया दिल आनन्द, दिगंबर देहरी वडाक् माहा देहरा मंडाकू, ईसर भीम सूरज-कुंड, दीसे नदी दो कुंड, मडकादंबधि जावै जात, देहरी पादुके देषात् एवे परदषणा की होस, रामपोल बेठकी शेस, तरबर घूत्र जाकी छाय, जालम पाल डिग ही पाय, मारग मांहे देवकीनन्द, छए कावसग्गीयाको वंद छलकाझो आछी रीतू, प्रतिमा नमण आवे नीत नीरमल चेलणका नीर, ग्यानकी वाव हे गंभीर, संव- प्रद्युन हे साल, भाडवगिर कुंड विसाल सिद्धवड हेठ पगले सार, आगे चबडी सुषकार उंचे देष आदपुर पाज, देवकुंड साल है सिरताज छत्री बंद चलीये वाट्, आए गाम नगर में घण गद्दघाट तहाँ भूपती हे भ्रमराज, गोहिलवंसे हे सुभ काज राजे उनडजी महाज, कांधल कुंअर हे जुबराज दादी पोतरो दिलदार, सातौ कुंअर हे सिरदार कम्भा घूव कामादार, हिम्मतदार हे हुजदार करता राजका सब काजु, गुणीअण गाहे उस गाज गौबै जोषसे गुणवंत, सनमुख सिद्धविरि सेवेत
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