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જેન-ઈતિહાસમે કાંગડા इस संकल्पका पता लगा, तो उन्होंने झट कांगडेका यात्रासंघ निकालनेकी आयोजना कर डाली । शुभ मुहूर्तमें यात्रा प्रारम्भ हुई । फरीदपुरसे चलकर संघने थोडी हो दूर विपाशा (ब्यास ) नदीके किनारे पहला पड़ाव किया । दूसरे दिन नदीको पार कर संघने जालंधरकी
ओर प्रस्थान किया । अब अविच्छिन्नं प्रयाण करता हुआ और गांवोंको लांघता हुआ संघ निश्चिन्दीपुरके१५ पासके मैदानमें सरोवरके किनारे आ पहुंचा । संघके आगमनकी सूचना पाकर गांवका स्वामी सुरत्राण ६ (सुलतान) अपने दीवानको लेकर वहां आया। साधु मुनि
___ यात्राका जो वर्णन विज्ञप्तित्रिवेणिमें दिया है उससे मालूम होता है कि फरीदपुर ब्यास नदीके निकट ही था, क्योंकि फरीदपुरसे चलकर संघने पहला पड़ाव ब्यासके किनारे पर किया। आजकल इस नामका कोई नगर या ग्राम ब्यासके किसी किनारे पर नहीं है । लेकिन जब हम निम्नलिखित बातों पर विचार करें तो हमको विश्वास हो जाता है कि पाकपटनका ही पुराना नाम फरीदपुर था
(१) ब्यास नदी अपना मार्ग बदलती रही है। (२) पुराने समयमें सतलुज और ब्यास हरीके पत्तन पर न मिलकर स्वतन्त्र धाराओं में
बहते हुए मुलतान तक चले जाते थे । (३) व्यासका पुराना मार्ग वर्तमान घारा ( संयुक्त सतलुज और ब्यास ) से काफी
उत्तरको था (४) एच. जी. 'रैवर्टीने फारसी पुस्तकोंके आधार पर सिद्ध किया है कि सौ डेढसौ बरस
पहले तक सतलुज और ब्यास जुदा २ बहते ये I Journal of Asiatic Society of Bengal for 1892. Part Ip. 179. "...upto 658 H.. (1259 A. D.). the Biah had not left its old bed: and further more. it is certain that it still continued to flow in its old bed for more than one hundred and fifty years after the investment of Uchchh by the Mughals, upto the time of invasion of India by Amir Timur, the Gurgan, in 801 H. (1397–98 A. D.) and moreover there are people still living, who remember the time when the Biah first deserted its ancient bed, and the Satluj finally left its last independent channel, now known to the people as the “Great Dandah," and the two united and formed
the Hariari, Nili or Gharah as they now flow”. (५) कनिंघम साहिबने अपनों पांचवीं रिपोर्टमें पंजाबका नकशा दिया है, उसमें अजोधन
और देवपालपुर पुराने ब्यासके दक्षिणको दिखलाये हैं । १५. निश्चिन्दीपुर - पाकपटन और दीपालपुरके बीच ब्यासके किनारे किसी स्थानका नाम होगा । आज इसका कुछ पता नहीं ।
१६. सुरत्राण=अरवी 'सुलतान' । निश्चिन्दीपुरका मुसलमान शासक । उसका नाम नहीं बतलाया ।
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